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FPO बढाने से लेकर Food Park बनाने तक, इस राज्य में किसानों के लिए किये जा रहे हें कई बड़े काम

कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए काम करने वाले सबसे बड़े बैंक नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के एक्सपर्ट की मानें तो इन दिनों श्रमिकों के पलायन से कृषि क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित हुई है और इसे उबरने में थोड़ा वक्त लगेगा. गेहूं की खरीद व कटाई को किसानों ने मशीनों की मदद से सुरक्षीत तरीके उपयोग किया है जिसके बाद अब खेती में मशीनों का उपयोग कई गुणा तक बढ़ने की संभावना है. इसे एक अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है.

आदित्य शर्मा

कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए काम करने वाले सबसे बड़े बैंक नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के एक्सपर्ट की मानें तो इन दिनों श्रमिकों के पलायन से कृषि क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित हुई है और इसे उबरने में थोड़ा वक्त लगेगा. गेहूं की खरीद व कटाई को किसानों ने मशीनों की मदद से सुरक्षीत तरीके उपयोग किया है जिसके बाद अब खेती में मशीनों का उपयोग कई गुणा तक बढ़ने की संभावना है. इसे एक अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है.

क्या हो रही चुनौतियां

धान की रोपाई के लिए लगभग यहां अब 70 हजार से अधिक श्रमिक चाहिए. सब्जियों की खेती में लेबर की जरूरत अधिक होती है लेकिन फिलहाल अभी लेबर की मौजूदगी कम है. लेबर की कमी होने कि वजह से फूड प्रोसेसिंग प्रक्रिया के कामों से लेकर मार्केटिंग तक के कामों पर असर पड़ा है. बाजार में मांग भी घटी है.

अवसर के रूप में क्या हैं संभावनाएं

कृषि विश्व बाजार नई तरीके से और आगे बढ़ने के आसार हैं. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग,प्रोक्योरमेंट आदे के क्षेत्रों में निवेश बढ़ने की संभावनाएं हैं. किसान बड़े यंत्र और ट्रैक्टर आदि की खरीदग करेंगे तो इससे मशीनों का उपयोग बढ़ेगा और रोज़गार के अवसर भी खुलेंगे. कृषि क्षेत्रों में आईटी की एंट्री होने से इसे एक नयी रूपरेखा मिलेगी जिससे आने वाले 4 से 5 वर्षों में कुल 5 लाख रोज़गार आने की संभावना है. हरियाणा सहित एनसीआर क्षेत्रों में एग्री-स्टार्टअप की शुरुआत होगी. इससे कोल्ड स्टोरेज और फूड पार्क जैसे चीज़ों का चेन बड़ा होगा. टेस्टिंग लैबों की संख्या भी बढ़ेगी जिससे युवा ज्यादा लाभ ले सकते हैं. उत्पाद को बाजारों तक बेचने के लिए भी आईटी के माध्यम का इस्तेमाल किया जाएगा.

क्या होनी चाहिए कोशिश

हरियाणा राज्य में कुल 91 एफपीओ (Farmer Producer Organisation) है. इन एफपीओ में से 10 ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए बैंकों से ऋण भी ले लिया है. 12 एफपीओ ने कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना भी की है. 3 एफपीओ पैक-हाउस स्थापित कर रहे हैं और 2 को प्रोक्योरमेंट लाइसेंस भी मिला है. अभी जो मौजूदा एफपीओ की संख्या है उसको और बढ़ाने होंगे जिससे छोटे-छोटे किसान मार्केट के अवसर पैदा हो सकें. वहीं खेती के लिए रिसर्च करने का भी समय आ गया है ताकि अब खेत में वही चीजें उगाया जा सके जिसकी जरुरत हो. वहीं अपना ब्रांड बनाकर इसकी मार्केटिंग भी कर सकते हैं. किसानों को अब यह सब सीखना होगा कि लोगों तक किस प्रकार अच्छी क्वालिटी का सामान अच्छी पैकेजिंग के साथ लोगों तक पहुंचाया जा सके. कृषि विभाग में भी कृषि उत्पाद के एक्सपर्ट के साथ-साथ मार्केट, ज्योग्राफी, आईटी, मौसम, ऑनलाइन सिस्टम और सर्विस सेक्टर के भी विशेषज्ञ होने चाहिए.

क्या है सरकार के प्रयास

सोनीपत-रोहतक में सरकार नाबार्ड की मदद से 126 करोड़ की लागत से दो मेगा फूड पार्क बना रही है. केंद्र से फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए राज्य ने 1000 करोड़ रुपए की भी मांग की है. कृषि विश्विद्यालयों में 10 करोड़ की ग्रांट इन्क्युबेसन सेंटर खुले हैं. बेहतर एग्री बिज़नेस की भी ट्रेनिंग दी जा रही है. हाईवे के किनारे जितने भी बड़े प्रोजेक्ट्स बन रहे हैं उनके पास एग्री और फूड प्रोसेसिंग परियोजनाएं लाने की कोशिश की जा रही है.

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English Summary: From increasing the FPO to building a food park, many major works are being done for the farmers in this state Published on: 05 June 2020, 12:29 PM IST

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