केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज (13 जून) कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कृषि अनुसंधान योजना के संबंध में विस्तार से चर्चा की. जिसमें 113 अनुसंधान संस्थानों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “हमें यह आकलन करना चाहिए कि यह कार्य महत्वपूर्ण है और हमारे पास एक नेटवर्क होना चाहिए और क्या हमारा नेटवर्क अपेक्षित परिणाम देने में सक्षम है, क्या यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं, जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था और यदि कोई कमी है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
साल 2047 तक कृषि क्षेत्र का लक्ष्य तय
उन्होंने आगे कहा कि, “यदि हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो हम एक नई क्रांति ला सकते हैं, इसके बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते. कभी-कभी आप इस बात की समीक्षा करते होंगे कि हमारे लक्ष्य क्या थे, हमारे लक्ष्य क्या थे, हमने कितना हासिल किया, अगर हम कम हासिल कर पाए, तो क्या कमी रह गई, जिसे पूरा करने की जरूरत है. ऐसा करने से हम 2047 तक जो लक्ष्य तय किए हैं, उसे हासिल कर लेंगे. अगर हमने 2047 का लक्ष्य तय किया है, तो हमें यह भी तय करना चाहिए कि 2026 के लिए हमारे लक्ष्य क्या हैं, 2026 में कितना हासिल हुआ, 2027 में कितना हासिल हुआ.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि झारखंड में सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में उत्पादकता देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कम कैसे है, इस पर काम करने की जरूरत है. उत्पादकता को संतुलित करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने विभागीय योजना के सभी पहलुओं को समझते हुए किसानों की उत्पादकता और आय बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को कम करने वाले शोधों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि किसानों के विभिन्न वर्गों में फसलों के बीजों की बायोफोर्टिफाइड किस्मों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए. मंत्री ने कहा कि सभी क्षेत्रों में फसलों की उत्पादकता में संतुलन बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.
बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव मनोज आहूजा और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद थे.
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