आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव, बलिया पर केंचुआ खाद उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक विषय पर पांच दिवसीय रोजगार परक प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजन किया गया. बता दें कि यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर 2023 तक किया गया था, जिसमें किसानों और खेती से संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया. इस प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने सभी प्रतिभागियों वैज्ञानिकों एवं कर्मचारी का स्वागत करते हुए केंचुआ खाद उत्पादन के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण बेरोजगार युवा केंचुआ खाद उत्पादन करके अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं.
आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं कि केंचुआ खाद उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक पर आयोजित इस पांच दिवसीय रोजगार परक प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्या कुछ खास रहा-
सजावटी पौधों के लिए केंचुआ खाद का उपयोग
केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार पाल ने केंचुआ खाद उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा किसान फसलों के अवशेष एवं गोबर उपयोग करके, केंचुओं की सहायता से लगभग 40-45 दिन में केंचुआ खाद तैयार कर सकते हैं. जो विभिन्न फसलों के लिए बहुत उपयोगी है. केंचुआ खाद का उपयोग शहरी क्षेत्रों में सजावटी पौधों को उगाने तथा किचन गार्डनिंग में किया जा रहा है.
किसानों की केंचुए की बिक्री कर अच्छी आमदनी
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि केंचुए की खाद में पौधों की आवश्यकता के लिए विभिन्न पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जिससे केंचुआ खाद का उपयोग करके विभिन्न फसलों से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ अभिषेक यादव ने बताया कि किसान भाई केंचुआ खाद का उत्पादन करके खाद के साथ-साथ केंचुए की बिक्री कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
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कार्यक्रम के समापन के दौरान केन्द्राध्यक्ष डॉ संजीत कुमार एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार पाल में सभी प्रतिभागियों; विशुनदेव यादव, ईश्वर चंद, गोविंदर, मराछों देवी आदि 25 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र बलिया पर तैयार केंचुआ की खाद वितरित किया गया. इस कार्यक्रम के आयोजन में केंद्र के कार्यक्रम सहायक धर्मेंद्र कुमार प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ सतीश कुमार यादव आदि का विशेष योगदान रहा.
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