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सर्दियों में मछली पालन: नुकसान से बचाव के जरूरी उपाय और सावधानियां

मछली पालन में सर्दियों में तापमान गिरने से मछलियों की सेहत प्रभावित होती है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है. पानी की गुणवत्ता सुधारने, संक्रमण से बचाव और नियमित निगरानी जरूरी है. जैविक और रासायनिक उपाय अपनाकर मछलियों को सुरक्षित रखा जा सकता है और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.

KJ Staff
fish farming
सर्दियों में मछली पालन नुकसान से ऐसे करें बचाव (Image Source: Freepik)

मछली पालन करने वाले किसानों के लिए यह कार्य हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है. खासकर अक्टूबर से फरवरी के बीच के मौसम में जब तापमान तेजी से गिरता है और पानी की ठंडक बढ़ने लगती है, तब मछलियों के स्वास्थ्य और उनके विकास पर इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस ठंडे मौसम में यदि मछलियों की उचित देखभाल और सही सावधानियां नहीं बरतीं जाएं, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.फिशरीज विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सर्दियों के दौरान मछलियों के मरने की घटनाएं आम हो जाती हैं. कई बार किसानों को अपनी मछलियों का 60 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ता है, जिससे उनकी आय में बड़ी गिरावट आती है. इसलिए इस मौसम में मछली पालन के लिए विशेष तकनीकों और उपायों को अपनाना आवश्यक हो जाता है, ताकि मछलियों की देखभाल बेहतर हो और उत्पादन प्रभावित न हो.

पानी की गुणवत्ता पर ध्यान सबसे जरूरी

विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए सबसे अहम है. तालाब के पानी की गुणवत्ता अगर पानी की शुद्धता ठीक नहीं है तो मछलियों के बीमार होने और मरने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में किसानों को पानी को शुद्ध रखने के लिए चूने का प्रयोग करना चाहिए. और यदि पानी का pH स्तर 7 से 8 के बीच है तो प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल चूना डालना फायदेमंद रहेगा. इस प्रक्रिया को हर 10 से 15 दिन के अंतराल पर करीब 2 से 3 महीनों तक दोहराना चाहिए यह उपाय पानी की गुणवत्ता सुधारने और मछलियों को सुरक्षित रखने में मदद करता है.

संक्रमण और रोगों से बचाव

सर्दियों में मछलियों पर कवक और अन्य संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसे रोकने के लिए कॉपर सल्फेट (तुतिया) का इस्तेमाल किया जा सकता हैं. विशेषज्ञों का सुझाव है कि इसे प्रति एकड़ प्रति मीटर पानी में 400 ग्राम की मात्रा में हर 15 दिन पर प्रयोग करना चाहिए इससे पानी में मौजूद हानिकारक जीवाणु और कवक खत्म होते हैं. इसी तरह पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग भी एक प्रभावी उपाय माना जाता है.

जैविक उपाय भी असरदार

किसानों को रसायनों के साथ-साथ जैविक उपाय अपनाने चाहिए वो इसलिए अगर पानी में कीटों की समस्या बढ़ जाए तो हल्दी या अन्य जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है. हल्दी जैसे प्राकृतिक उपाय पानी को संतुलित रखते हैं और मछलियों पर किसी तरह का नकारात्मक असर नहीं डालते.

नियमित निगरानी और सफाई

विशेषज्ञों के मुताबिक, मछली पालन करने वाले किसानों को अपने तालाब की नियमित सफाई करनी चाहिए इसके साथ ही पानी के तापमान और गुणवत्ता पर लगातार नजर रखना बेहद जरूरी है. इसके अलावा, मछलियों की नियमित स्वास्थ्य जांच भी अनिवार्य हैं समय रहते यदि बीमारी की पहचान हो जाए तो उचित दवाओं और तकनीकों के माध्यम से नुकसान को रोका जा सकता है.

English Summary: fish farming winter challenges prevention tips safe aquaculture Published on: 19 September 2025, 04:36 PM IST

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