Supreme Court: पराली जलाने की समस्या को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किए है. ताकि किसानों के द्वारा पराली जलाने पर रोक लग सके और पराली का सही तरीके से इस्तेमाल हो सके साथ ही प्रदूषण भी न बढ़ सके. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी किए गए नियम के तहत अब पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि को दोगुना कर दिया है. अब दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 5 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना देना होगा.
वही बात करें 5 एकड़ जमीन वाले किसानों कि तो उन्हें 10 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. साथ ही जिन किसानों की जमीन 5 एकड़ से ज्यादा है उन किसानों को 30 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा.
दिल्ली समेत इन राज्यों में नियम लागू
प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए दिल्ली के आसपास के इलाको में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संशोधित नए नियम, 2024 को लागू कर दिया गया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह नया नियम दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में यह नए नियम मान्य रहेंगे. वही, नए नियमों के तहत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के कार्यालयों में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. इसमें प्रदूषण के खिलाफ शिकायतों की जांच और उनके निपटारे की प्रक्रिया भी शामिल है.
कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने और प्रदूषण को लेकर 4 नवंबर की सुनवाई की थी, जिसमें पंजाब और हरियाणा से 14 नवंबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते हुए प्रदूषण के लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नए नियम बनाने और संबंधित अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भारत सरकार को 2 सप्ताह का समय दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा था कि उन्हें सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न किया जाए.
पराली जलाने पर आर्टिकल-21 का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब पंजाब और हरियाणा सरकार को यह याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है, जोकि आर्टिकल-21 के तहत आता है. इसके तहत हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है. सरल भाषा में कहा जाए तो प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस लेना नागरिकों का अधिकार है. इसलिए प्रदूषित वातावरण में रहना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है.
लेखक:- नित्या दुबे
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