दरभंगा के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा. यह प्रशिक्षण किसानों को मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा को एक ही खेत में फसल चक्र को अपनाने के लिए दिया जा रहा है. ताकि किसान अपनी आमदनी को सरलता से बढ़ा सके. इसी के चलते सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल द्वारा राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा का भ्रमण किया गया तथा इस अनुसंधान केन्द्र द्वारा किये जा रहे कार्यों का अवलोकन कर आवश्यक निर्देश दिया गया.
ऐसे में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा को मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा को एक ही खेत में फसल चक्र के रूप में अपनाने के लिए दिये जा रहे प्रशिक्षित के बारे में विस्तार से जानते हैं-
मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा एक ही खेत में फसल चक्र के रूप में अपनाये
सचिव, कृषि विभाग, बिहार द्वारा मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा को एक ही खेत में मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा को फसल चक्र के रूप में अपनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने का निदेश दिया, ताकि किसानों को साल भर जल-जमाव वाले कृषि प्रक्षेत्र पर मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा से साल भर आमदनी मिल सके. मखाना अनुसंधन केन्द्र द्वारा पानी फल सिघाड़ा के दो किस्मों स्वर्णा लोहित तथा स्वर्णा हरित विकसित किया गया है.
प्रचार-प्रसार
तालाब के साथ-साथ खेतों में मखाने की खेती/ Makhana Cultivation को किस प्रकार और विकसित किया जा सके, इसके लिए प्रचार-प्रसार करने तथा किसानों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया गया. अब बड़ी संख्या में किसान खेत में 01 फीट गंड्डा खोद कर मखाने की खेती कर रहे है तथा उन्हें अन्य फसलों से अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है. ऐसे खेती करने से जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है.
मखाना बीज उत्पादन
सचिव ने कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा मखाना को उनके संस्थान द्वारा विकसित स्वर्ण वैदेही, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा विकसित सबौर मखाना-1 तथा मखाना के पारम्परिक बीज से उत्पादन एवं तालाब में उत्पादित मखाना तथा खेत में उत्पादित मखाना के लाभ का का तुलनात्मक अध्ययन करने निर्देश दिया. मखाना की उत्पादकता का आकलन वैज्ञानिक पद्धति से करने का निर्देश दिया.
बिहार के किसानों को मखाना के उन्नत बीज की किस्म उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान केन्द्र को गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन तथा बीज की नई किस्में विकसित करने की आवश्यकता है.
वार्षिक प्रशिक्षण कैलेन्डर तैयार करना
मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में प्रशिक्षण की सुविधा होते हुए भी किसानों को प्रशिक्षण नहीं देने पर खेद व्यक्त किया गया तथा प्रत्येक माह वहां किसानों के बीच प्रारम्भ करने का निदेश दिया गया. इसके लिए आत्मा से सहयोग दिया जायेगा.
किसानों को मखाना, मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा, मखाना प्रसस्करण, मखाना के उत्पाद तैयार करने तथा मखाना के विपणन आदि विषयों पर किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए एक वार्षिक कैलेन्डर तैयार किया जाये. कैलेन्डर के अनुसार मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा तथा भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में किसानों को प्रशिक्षित किया जाये.
सिंचाई की व्यवस्था जल्द से जल्द कराई जाये
वहां के प्रभारी के द्वारा ये जानकारी दी गई कि पिछले कई वर्षों से बोरिंग नहीं होने के कारण फसल में समस्या उत्पंन होती है तथा 20 एकड़ में से मात्र 02-03 एकड़ में ही खेती की जा रही है. बोरिंग हमेशा से खराब है, इस पर खेद व्यक्त किया गया तथा राज्य सरकार के निधि से बोरिंग उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया, ताकि सिंचाई के अभाव में वहाँ कार्य बाधित न हो.
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जलीय अनुसंधान गतिविधियों के लिए सहयोग
उन्होंने मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा में उपलब्ध प्रक्षेत्र का अधिकतम उपयोग जलीय अनुसंधान गतिविधियों के लिए करने का निर्देश दिया. साथ ही, उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहयोग करने तथा विभाग की तरफ से 02 करोड़ रूपये बजट प्रावधान करने का निदेश दिया. कृषि सचिव ने इसके साथ मखाना प्रसंस्करण इकाई का भी निरीक्षण किया तथा मखाना उत्पादक किसानों से भी मुलाकात की.
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