छत्तीसगढ़ के किसानों को धान की खेती में अधिक फायदा दिखता है लेकिन राज्य सरकार का मानना है कि किसानों को धान की खेती से जितना फायदा मिल रहा है, उससे कई ज्यादा फायदा खरीफ़ की दूसरी फसलों से मिलेगा. खास बात है कि इस फसल का पैसा भी सरकार ही देगी.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही ऐसा फैसला लेने वाली है, क्योंकि जब से धान को 2500 रुपए क्विंटल की दर से खरीदने की बात कही है, तब से सारे किसान धान की खेती पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं. ऐसे में अन्य फसलों की खेती पर फोकस ही नहीं किया जा रहा है. बता दें कि धान का समर्थन मूल्य 1835 रुपए है, लेकिन राज्य सरकार अपने किसानों को 2500 रुपए का भुगतान कर रही है.
इतना ही नहीं, हर साल लगभग 17 लाख किसान धान की फसल बेचने आते थे. मगर इस साल लगभग 19 लाख से भी ज्यादा किसानों ने धान की फसल बेची है. अगर यही हालात रहे, तो राज्य में हर जगह धान का ही ढेर लग जाएगा. ऐसे में एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है, इसलिए राज्य सरकार खेती की योजना में बड़ा बदलाव करने जा रही है.
सरकार आने वाले सासे से एक ऐसी योजना लागू करने वाली है, जिसमें धान की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत अधिक कमाई खरीफ की दूसरी फसल से होगी. इन फसलों की दर भी सरकार द्वारा तय की जाएगी. इसके लिए सरकार 6000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करेगी.
धान के गणित पर एक नजर (मीडिया रिपोर्ट्स)
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कुल रकबा: 44 लाख हेक्टेयर
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कुल खरीदी : 67 लाख मीट्रिक टन (56.51 लाख टन चावल)
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पीडीएस में : 40 लाख टन
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एफसीआई को : 24 लाख टन
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राज्य के पास शेष :11 लाख टन
खरीफ़ की अन्य फसलें
राज्य सरकार ने धान के अलावा मक्का, सोयाबीन, मूंगफल्ली, अरहर, मूंग और उर्द को खरीफ़ फसलों में शामिल किया है.
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