रबी फसलों जैसे गेहूं, चना, मटर, मसूर की बोवनी का कार्य चल रहा है, परन्तु कृषकों को डी0ए0पी0 उर्वरकों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. इसी के मद्देनजर कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना द्वारा जिले के किसानों को सलाह दी गई है कि वो डी0ए0पी0 के विकल्प के रूप में अन्य उर्वरक जैसे, एन0पी0के0 20:26:26, एन0पी0के0 12:3216 के साथ यूरिया एवं सिगल सुपर फास्फेट का प्रयोग कर सकते हैं.
दलहनी फसलों जैसे- चना, मटर, मसूर में प्रति हेक्टेयर यूरिया 45 कि0ग्रा0 सिंगल सुपर फास्फेट 300 कि0ग्रा0 एवं एम0ओ0पी0 35 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा एन0पी0के0 10:26:26 200 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा एन0पी0के0 12:32:16 160 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें.
गेहूं (सिंचित) फसल में प्रति हेक्टेयर यूरिया 250 कि0ग्रा0, सिगल सुपर फास्फेट 375 कि0ग्रा0 एवं एम0ओ0पी0 65 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा एन0पी0के0 10:26:26 230 कि0ग्रा0 के साथ यूरिया 200 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर अथवा एन0पी0के0 12:32:16 190 कि0ग्रा0 के साथ यूरिया 220 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें.
दलहनी फसलों जैसे चना, मटर, मसूर में जैव उर्वरक राईजोबियम से बीजोपचार 10 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 बीज एवं ट्राईकोडर्मा एवं पी0एस0बी0 से मिट्टी उपचार 03 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर के मान से प्रयोग करें.
गेहूं एवं सरसों में एजोटोबेक्टर 10 ग्राम प्रति से बीज बीजोपचार करें. जैव उर्वरकों का प्रयोग करने पर रसायनिक उर्वरकों में 20-25 प्रतिषत तक की कमी की जा सकती है. किसान भाई नैनो तरल यूरिया 500 एम0एल0 प्रति एकड़ के मान से छिड़काव भी कर सकते हैं.
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