भारत ने अपने ओलंपिक इतिहास में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. दरअसल, पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत की झोली में एक और पदक आ गया है. मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट ब्रॉन्ज मेडल मैच में दक्षिण कोरिया को मात देकर ये पदक जीता है. इससे पहले मनु ने रविवार को इसी इवेंट के सिंगल्स इवेंट में ब्रॉन्ज जीता था. भारत ने दक्षिण कोरिया को 16-10 से मात देकर ये मेडल अपने नाम किया है. जहां पूरा देश मनु की प्रशंसा कर रहा है, वहीं सरबजोत ने भी खुद को भव्य मंच पर साबित किया, और भारत के पदकों की संख्या को दोगुना करने में समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
गौरतलब है कि भारत ने लंदन ओलंपिक-2012 के बाद पहली बार निशानेबाजी में दो ओलंपिक पदक जीते हैं. इसी के साथ मनु भारत की पहली महिला निशानेबाज बन गई हैं जो दो ओलंपिक मेडल जीती हैं. इसके अलावा मनु भारत के लिए एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली खिलाड़ी भी हैं. वही सरबजोत सिंह का ये पहला ओलंपिक मेडल है. वह सिंगल्स इवेंट में कमाल नहीं कर पाए लेकिन मनु के साथ जोड़ी बनाकर उन्होंने अपने खाता खोल लिया.
कौन हैं सरबजोत सिंह?
भारत के सबसे बेहतरीन निशानेबाजों में से एक सरबजोत सिंह अंबाला के एक किसान परिवार से हैं. वह अंबाला के किसान जतिंदर सिंह और हरदीप कौर (गृहिणी) के बेटे हैं. सरबजोत ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की और कोच अभिषेक राणा के अधीन प्रशिक्षण लिया. 22 वर्षीय यह खिलाड़ी 10 मीटर एयर पिस्टल क्षेत्र में एक बेहतरीन निशानेबाज होने के बावजूद अपनी परिपक्वता और जमीनी स्वभाव के लिए जाना जाता है. यह उनकी हालिया उपलब्धियां और आत्मविश्वास ही था जिसने भारतीय खेल जगत को यह विश्वास दिलाया कि वह ओलंपिक में पोडियम पर जगह बना सकते हैं. और, उन्होंने निराश नहीं किया.
सरबजोत ने पहली बार एक समर कैंप के दौरान स्थानीय रेंज में कुछ बच्चों को एयर गन चलाते देखा था, जब वह काफी छोटे थे. 13 साल की उम्र में सरबजोत ने फुटबॉलर बनने का सपना देखा था, लेकिन शूटिंग एक और खेल था जिसमें उनकी दिलचस्पी थी. 2014 में सरबजोत ने अपने पिता के पास जाकर कहा, "पिताजी, मैं शूटिंग करना चाहता हूं". उनके पिता जीतेंद्र सिंह जानते थे कि उनका बेटा क्या चाहता है, लेकिन उन्हें यह बताना पड़ा कि यह खेल महंगा है, खासकर एक किसान के लिए. सरबजोत ने महीनों तक जोर दिया और उसके माता-पिता को उसके जुनून पर ध्यान देना पड़ा.
सरबजोत को पहली बार तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 2019 जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. वह हांग्जो में 2022 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय शूटिंग टीम का भी हिस्सा थे. इसके बाद उन्होंने 2023 एशियाई चैंपियनशिप में सिंगल्स इवेंट में कांस्य पदक जीता.
2020 टोक्यो ओलंपिक में अपना खाता खोलने में विफल रहने के बाद भारत की शूटिंग टीम पर पेरिस खेलों से पदक लाने का दबाव था. जब शीर्ष निशानेबाजों की सूची तैयार की गई, तो सरबजोत का नाम भी उनमें से एक था. सरबजोत सिंगल्स इवेंट में 10 मीटर एयर पिस्टल कंपटीशन में पदक जीतने में विफल रहे, लेकिन उन्होंने इसी कैटेगरी के मिक्स्ड टीम इवेंट में निराश नहीं किया.
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