एक वक्त था जब गांव के युवा गांव तक ही सीमित रह जाते थे और खेती –किसानी कर अपना जीवन यापन करते थे. लेकिन, आज के वक्त में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं जिससे यह साबित हुआ है की गांव के युवा अब किसी से कम नहीं हैं. आज की कहानी भी गांव के एक ऐसे ही युवा की है जिसने इस बात को सच कर दिखाया की अगर हौसले बुलंद हों तो मंज़िलें खुद आसान हो जाती हैं. देश के एक छोटे से गांव के आकाश मलिक ने ओलिंपिक में तीरंदाजी में रजत पदक जीता और ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय बने . उनके पिता नरेन्द्र मलिक एक छोटे से किसान हैं जो की गेहूं और कपास की खेती करते हैं वह कभी नहीं चाहते थे कि उनकी तरह उनका बेटा भी किसान बने . इसलिए उन्होंने आकाश को खेती से दूर रखा और उसका हमेशा हौसला बढ़ाया.
शुरूआत में आकाश का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और उन्होंने अपने प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया लेकिन, एक वक्त ऐसा आया जब वह अमेरिका में तीरंदाजी में ट्रेनटोन कोल्स से 6-0 से हार गए. भारत के पास टूर्नामेंट में 3 स्वर्ण ,3 रजत ,1 कांस्य पदक हो गए. यह पहली बार था जब भारत ने ओलिंपिक तीरंदाजी में रजत पदक जीता. इससे पहले ओलिंपिक तीरंदाजी में भारत के पास 2 पदक हैं.
क्वालिफिकेशन के बाद आकाश अपने स्थान पर स्थिर न रह पाए और कोल्स 10-9 के स्कोर से आकाश से जीत गए. जिस कारण आकाश आखरी पड़ाव में नहीं पहुंच पाए, आकाश और कोल्स ने चार बार पर्फक्ट स्कोर किया लेकिन आकाश ने पहले और तीसरे पड़ाव में सिर्फ 6 स्कोर किया. कोल्स काफी तेज़ और दमदार प्रतिद्वंदी साबित हुए.
मनीशा शर्मा ,कृषि जागरण
Share your comments