बिहार के महराजगंज खेत में लहलहाती सब्जी की खेती दर्जनों परिवारों के लिए खुशहाल जीवन का मजबूत आधार बन गई है. कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान अब मौसमी सब्जियों से प्राप्त आमदनी के सहारे उन्नत एवं खुशहाल जीवन गुजार रहे हैं. सुबह से शाम तक खेत में पसीना बहाकर किसान अब आसपास के गांवों के किसानों के लिए नजीर बन गए हैं. नौतनवा ब्लाक मुख्यालय के करीब बसे महदेइयां गांव का डगरपुरवां टोला सब्जी की खेती को लेकर क्षेत्न में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. टोले के मुख्य सड़क के दोनों तरफ बसे 60 घरों की इस बस्ती में लगभग 55 परिवारों के लोग दो दशक से सब्जी की खेती को ही अपने जीविकोपार्जन का मजबूत सहारा बनाकर खुशहाली की डगर पर आगे बढ़ रहे हैं. सुबह होते ही किसान फावड़े व खुरपी लेकर सिब्जयों की देखभाल में जुट जाते हैं.
यहां के अधिकांश किसान मचान विधि का प्रयोग कर बोडा, करैला, लौकी जैसी सिब्जयां पैदा कर लाखों की आय प्राप्त कर रहे हैं. वे फसल में रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद का बेहतर उपयोग कर रहे हैं. किसान गब्बू लाल यादव ने बताया कि हम लोग ठंडी के मौसम में फूल गोभी, बंद गोभी, टमाटर, धनिया, मटर, मूली का पैदावार करते हैं. जबकि गर्मियों के मौसम में करैला, ¨भडी, बोड़ा, लौकी, बैगन, कुनुरु , अरु ई, बंडा की खेती करते हैं. 1गब्बू लाल की प्रेरणा से अब तो गांव के महेंद्र ,सुरेश, शिवकुमार, श्रीपत, सोहरत, कुंडल, अखिलेश, बृजेश आदि किसान भी सब्जी को अपने उन्नत जीवन का मजबूत आधार बना चुके हैं. यहां की उन्नत किस्म के बीजों से उगाई गई सब्जियां क्षेत्नीय बाजारों के अलावा नेपाल के भैरहवां, बुटवल, ठूठी पिपर, नवलपरासी के बाजारों तक पहुंचती हैं. गोरखपुर, बस्ती, देविरया के बड़े सब्जी व्यापारियों का भी यहां हमेशा आना-जाना लगा रहता है.
रामकेश की प्रेरणा ने बना दिया किसान
डंगरपुरवा टोले पर सब्जी की खेती की शुरु आत डेढ़ दशक पूर्व रामकेश नामक किसान ने शुरू किया था, जो कैंपियरगंज क्षेत्न के कल्याणपुर गांव से आए थे. सब्जी की खेती कर उसने तीन एकड़ खेत खरीदा था. उसी से प्रेरणा लेकर महदेइयां गांव का डगरपुरवां टोला के गब्बू लाल व अन्य लोग भी सब्जी की खेती करने लगे. आज टोले पर निवास करने वाले लगभग सभी किसान धान, गेहूं की जगह साल भर बदल-बदल कर विभिन्न प्रजाति की सिब्जयां उगाते हैं.
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