कृषि प्रधान भारत देश में खेती से अधिक उपज और किसानो की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से निरंतर कृषि क्षेत्र में नई तकनीके और शोध होता रहा है. आज देश का किसान जागरूक है और कृषि अनुसंधानों के द्वारा निकाले गए नए शोध और तकनीको को टेक्नोलॉजी के माध्यम से मोबाइल, रेडियो, टीवी और अखबारों में से जानने योग्य है.
आज आम किसान भी मोबाइल सेवाओं से जुड़ चूका है, और सामान्य भाषा में मोबाइल की सेवाओं को समझ सकता है. भारत सरकार और कृषि संस्थानों द्वारा मिलकर बनाये गए कृषि से सम्बंधित ऍप्लिकेशन्स किसानो के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहे है, और देश के किसी भी कोने से किसान इसे अपने अनुसार हिंदी, अंग्रेजी या अन्य किसी क्षेत्रीय भाषा में उपयोग कर रहा है.
इन्ही तकनीकों के चलते भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department), नई दिल्ली द्वारा सन 1945 में फार्मर वेदर बुलेटिन्स बनाना शुरू किया गया था. यह बुलेटिन्स राष्ट्रीय स्तर पर बनाये जाते थे, इसके कुछ वर्षो बाद यह सेवा राज्य स्तर, फिर संभागीय और फिर जिला स्तर जिसके बाद भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी के साथ यह अब तहसील/ब्लॉक स्तर पर भी पहुँच चुकी है. अब देश के किसी भी कोने में किसान अपने ब्लॉक में आगे रहने वाले मौसम की अवस्था पहले से जानने में समर्थ बनाया जा रहा है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् आपस में मिलकर हाल ही मे ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS) परियोजना के तहत इस पर काम कर रही है, ताकि मौसम की सटीक जानकारी ब्लॉक/ग्राम स्तर तक के किसानो को पहुंच सके, और प्रतिकूल मौसम के कारण फसलों में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. यह सुविधा किसान को मौसम आधारित कृषि परामर्श/सलाहकार बुलेटिन के माध्यम से एस.एम.एस. (SMS), व्हाट्सप्प, मेघदूत एप्प , टीवी , रेडियो, अखबारों के ज़रिये पहुंचाने का काम अभी चलन मे है. देश के हर ज़िले के हर ब्लॉक/तहसील/ग्राम के किसानो तक यह सुविधा पहुंच सके इसके लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग के साथ भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् अपने कार्य को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के सानिध्य में चलन में लाने के लिये अपने यथा संभव प्रयास कर रहा है.
भारत सरकार के लक्ष्य अनुसार किसानो की आय दुगुनी करने हेतु यह सभी प्रयास कार्यरत है, जिससे की अपने ज़िले के ब्लॉक/ग्राम में रहने वाले मौसम की अवस्था पहले से पता होने पर किसान खेती के आवश्यक काम, जैसे, बिजाई, कीटनाशक या खरपतवारनाशी का उपयोग, कटाई, फसल भण्डारण आदि के लिए कृषि मौसम विशेषज्ञ और अन्य कृषि के विषयो से सम्बंधित सलाहकारों के उपयोग के द्वारा पूर्व में ही जानकारी अपनी स्थानीय भाषा में पा सके.
यह प्रयास किसानो को तकनीक के साथ-साथ घर बैठे जानकारी देने में अत्यधिक लाभकारी साबित हो रहा है, और किसान भाई/बहन इससे खेती में आने वाली लागत को कम करने में भी सक्षम हो पा रहे है. किसान अब खराब मौसम की पहले से जानकारी होने के कारण वह जागरूक होकर अपनी फसल को बर्फ बारी, कोहरे, धुंध, अत्यधिक बारिश, तेज़ हवाए, बिज़ली चमकने, पाला और ओलावृष्टि पढ़ने जैसी ख़राब मौसम की अवस्था होने पर, फसल में नुकसान होने से बचाने में सक्षम हो पाएगा और अपनी आय को बढ़ा पाएगा.
इस परियोजना को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे है, ताकि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, देश का हर एक किसान मौसम की जानकारी को महत्वपूर्ण मानते हुए अपने कृषि के कार्यो को करे, यह सुविधा कृषि की नई तकनीकों का उपयोग करते हुए किसान को मौसम आधारित कृषि करने के लिए मददगार साबित हो रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चलाई जा रही, ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत देश के हर ज़िले में किसान जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे है, ताकि हर ज़िले/ब्लॉक और गांव के किसान मोबाइल सुविधा के माध्यम से मौसम आधारित कृषि सलाह का लाभ ले सके.
किसान भाइयों/बहनों को तकनिकी परामर्श से जोड़ने के साथ साथ कृषि में मौसम के प्रभाव और महत्व को समझाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है. जिससे किसान आधुनिकरण के इस युग में मौसम अवस्था के प्रति साक्षात्कार हो और वह भी अन्य देशो की तरह भारत देश में क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (Climate Smart Agriculture) पद्धत्ति के अनुसार चलते हुए अधिकतम उपज के साथ साथ अधिक लाभ कमाने, और ख़राब मौसम से फसल में होने वाले नुकसान को कम करने योग्य हो सके.
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के संयुक्त कार्य प्रणाली अनुसार देश के हर ज़िले में उपस्थित कृषि विज्ञान केन्द्रो में ज़िला कृषि मौसम विज्ञान इकाई (District Agro-Met Unit) स्थापित की जा रही है. इस इकाई में कार्यरत कृषि मौसम विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य तथा ब्लॉक स्तरीय कृषि विभाग और ग्राम पंचायत के सहयोग से ब्लॉक/ग्राम स्तर तक के किसानो को मौसम आधारित कृषि परामर्श के बारे में समझाने और इस सेवा से ज़्यादा से ज़्यादा किसानो को जोड़ने के लिए अपने निरंतर प्रयास कर रही है.
इसी कार्य प्रणाली पर आधारित यह इकाई, कृषि विज्ञान केंद्र, बारामु्ला, जम्मू-कश्मीर में भी शुरू की गयी है. यह इकाई ज़िले के 26 ब्लॉक के लिए हफ्ते में दो बार (मंगलवार और शुक्रवार) मौसम आधारित कृषि परामर्श बुलेटिन ज़ारी करती है. यह बुलेटिन अंग्रेजी और कश्मीरी भाषा में बनाये जाते है. और जिले में बोई जाने वाली फसले, जैसे केसर, मक्का, धान, जई, सरसों, मटर, लोकि, गोभी, हरी मिर्च, कद्दू, बैगन, शिमला मीर्च, आलू, सेब, आड़ू, आलू बुखारे, नाशपती, फूल, मशरुम, मधुमक्खि पालन, रेशम पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और मवेशी पालन पर आधारित मौसम में होने वाले परिवर्तनों को समझते हुए लगातार कृषि परामर्श; एम् किसान (M-Kisaan) पोर्टल, व्हाट्सप्प, अखबारों, रेडियो के माध्यम से ज़िलें और ब्लॉक स्तर तक मौसम पूर्वानुमान के आधार पर नयी तकनीकों को अपनाते हुए कृषि सलाह भेजती है. ज़िलें के हर ब्लॉक में किसान जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे है, ताकि बारामु्ला ज़िले के सभी किसानो को इस सेवा से जोड़े जाये.
करन छाबड़ा , मनोज कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र, बारामूला, जम्मू और कश्मीर, भारत- 193404
Share your comments