प्रमुख कच्चे माल फॉस्फेट और पोटाश की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के कारण किसान इस बुवाई के मौसम में उर्वरकों के लिए 20 फीसदी अधिक भुगतान कर रहे हैं। उद्योग के नियंत्रण के कारण यूरिया की कीमतें स्थिर हैं लेकिन इनपुट लागत सब्सिडी बिल बढ़ा सकती है।
2017 में रबी रोपण के मौसम में किसानों द्वारा भुगतान किए जाने वाले डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतें वर्तमान में 20 किलोग्राम प्रति किलो है। यानी 1,2 9 0 रुपये प्रति बैग
पोटाश (एमओपी) की मूरिएट की कीमत 13 फीसदी बढ़कर 700 रुपये प्रति बैग हो गई है, जबकि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) ग्रेड 10फीसदी से 12फीसदी बढ़कर 900-1100 रुपये प्रति बैग 50 किलो हो गए हैं।
"फॉस्फोरिक एसिड, डीएपी और एमओपी की वैश्विक कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के अलावा घरेलू पी एंड के उर्वरक निर्माताओं और व्यापारियों की बिक्री कि लागत भी बढ़ गई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस खरीफ सीजन के लिए उर्वरकों की आवश्यकता उद्योग द्वारा पूरी की जाएगी।यूरिया की अनुमानित आवश्यकता 158 लाख टन, डीएपी के लिए 49.20 लाख टन, 20.25 लाख टन एमओपी, 49.73 लाख टन एनपीके और 26.25 लाख टन एसएसपी है।
हालांकि उर्वरक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल सतीश चंदर ने कहा कि यूरिया की कीमत में कोई बदलाव नहीं आएगा क्योंकि सरकार द्वारा दरों को तय किया जाता है। हालांकि यह कंपनियों को देय सब्सिडी में वृद्धि करेगा।
भानु प्रताप
कृषि जागरण
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