राजस्थान के भापोर में किसानो का आक्रोश कृषि अधिकारियों को देख कर रोके से नहीं रुका, और वह कृषि अधिकारियों पर भड़क गए. दरअसल किसानो के आक्रोश बढ़ने का कारण यह था की किसानो की एक के बाद एक फसल लगातार ख़राब हो रही थी, और जिसके लिए न तो कोई कीटनाशक उपलब्ध कराया गया न ही कोई अन्य सुविधा मुहैये कराई गई है जिसके कारण मक्का की सुखी फसल की जाँच करने आये कृषि अधिकरिओ को किसानो का गुस्सा भी झेलना पड़ा।
किसानो का कहना है की 27 फरवरी को कृषि विभाग कार्यालय के नोटिस मिलने के 1 महीने 8 दिन बाद कृषि विभाग अधिकारी बुधवार को कागजी कार्यवाही करने आए हैं. किसानो की शिकायत है की मक्के की फसल में कीड़े लगने के बाद डॉक्टर्स ट्राइको ट्रॉमा के छिड़काव की जानकारी तो दे देते है लेकिन वह न तो बाज़ारो में होता है न कृषि विभाग में. किसानो का कहना है की ऐसी जानकारी क्यों दी जाती है जो बाज़ारो में उपलब्ध नहीं है और जिससे किसानो को कोई फायदा ही नहीं हो रहा.
किसानो का आरोप है की मक्के की फसल इस क्षेत्र में कई बार सुख जाती है और कृषि विभाग के लोग बस किसानो को बेवकूफ बनाने के तौर पर यहाँ आते है इसलिए इस बार किसान इस ज़िद पर है की कृषि विभाग के लोग मौके पर ही किसानो से मिले और किसानो की बात सुनी जाये इसी के चलते मामला इतना बढ़ गया की ग्रामीण तहसीलदार को किसानो के बीच आकर समझाना पड़ा और तब जाकर किसान कही ठन्डे हुए. इसी के साथ भापोर के कुछ किसानो का यह भी कहना है की उन्होंने खेत में महंगी खाद, बीज, पानी दिया लेकिन फिर भी उनके खेत तीन महीने में सुख गए.
इन्ही सब के साथ किसानो ने अपनी कुछ मांगे भी की.
कृषि विभाग की ओर से किसानों को बुवाई के समय प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जाए।
समय समय पर कृषि अधिकारी खुद खेतों में जाकर जानकारी जुटाएं।
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