अपनी बदहाली के आगे घुटने टेक चुके किसानों की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. कल तक जो यह कहते हुए नहीं थकते थे कि हम किसानों की जिंदगी को खुशियों से गुलजार कर देंगे, आज यही लोग इनकी जिंदगी को वीरान कर चुके हैं. आलम यह है कि ये किसान आज लाचार, बेबस, बदहाल, बदहवास हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
यह वही किसान हैं, जो देश का पेट भरते हैं, लेकिन आज जब इनकी जिंदगी में मुसीबत आ पड़ी है, तो इनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. दरअसल, यह पूरा वाकया राजस्थान के हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले का है. इन जिलों को खरीफ फसलों को खान कहा जाता है. इन जिलो में कभी फसलें लहलहाती थी, लेकिन अफसोस आज कुदरत की मार इन जिलों पर ऐसी पड़ी है कि ये सूखे की चपेट में हैं.
वहीं, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले के किसानों का कहना है कि सत्ता में बैठे लोग इनका हाल भी नहीं जान रहा हैं, ऐसे लोगों से सुद समेत हिसाब लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल तो हमें इस बात पर ध्यान देना है कि कैसे इस स्थिति से निपटा जाए.
किसानों का कहना है कि यहां सिंचाई की व्यवस्था न होने से सूखे की मार झेलनी पड़ रही है. इस बार बारिश भी कम हुई है. नहीं तो हर बार कुदरत की मेहरबानी हमें इस सूखे से बचा लेती थी, लेकिन अफसोस इस बार ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से आज हम सूखे की चपेट में हैं.
सरकार ने कभी सिंचाई की उचित व्यवस्था करने हेतु ध्यान नहीं दिया. हालांकि यहां सिंचाई की उचित व्यवस्था करने हेतु एक नहर है, लेकिन पंजाब में डेम बनने की वजह से अभी यह नहर में हमारे लिए उपयोगी नहीं है. किसानों का कहना है कि सूखे की वजह से कपास और मूंग की फसल तो बर्बाद हो चुकी हैं। ये फसलें 50 प्रतिशत सूखे के चपेट में हैं.
हम कई बार किसानों के समक्ष इस पूर मामले को उठा चुके हैं. यहां तक की जिले के किसान भी प्रदर्शन कर चुके हैं, मगर सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई भी हितकारी कदम नहीं उठाया है. खैर, अब आगे चलकर सरकार इस दिशा में किसान भाइयों के लिए क्या कुछ कदम उठाती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि जगत से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए....कृषि जागरण.कॉम
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