छत्तीसगढ़ के जशपुरानगर के जिले मेंदुलदुला क्षेत्र में किसान अब धान की पांरपरिक खेती को छोड़कर काजू और आम की पैदावार करके अपनी कमाई को दोगुना करने का प्रयास कर रहे हैं . आज से ठीक सात साल पहले किसानों ने धान की खेती को छोड़ कर काजू और आम के पौधे को लगाने का फैसला किया था और ढाई हजार एकड़ खेत में दशहरी, लगड़ा, आम्रपाली, तोतापरी के पौधे लगाए है. यह सभी पौधे बड़े पेड़ बन चुके है और इन पेड़ों में लगे आमों की बाजार में काफी अच्छी डिमांड होने से किसानों की अच्छी खासी कमाई हो रही है. इससे किसानों को अतिरिक्त लाभ हो रहा है.
काजू की खेती में हाथ आजमाया
यहां के किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए धान की खेती को छोड़कर काजू की पैदावार में हाथ आजमा रहे हैं और बाकी बची हुई जमीन पर उन्होंने विभिन्न प्रजाति के आम के पौधे भी लगाने का कार्य शुरू किया है. अच्छी पैदावार होने से किसानों के चेहरे काफी खिल उठे है. यहां के दशहरी आम भी 50 रूपये किलो तक बिक रहे है. इनकी डिमांड अबिंकापुर, कोरबा और रायगढ़ तक की जा रही है.
आम और काजू की फसल से बन रही है पहचान
छत्तीसगढ़ के दुलदुला क्षेत्र के खंडसा, बकुना, गिनाबहार सहित कई गांवों से किसानों ने बाड़ी विकास कार्यक्रम में काजू और आम की खेती करने का कार्य शुरू किया है. अब आम और काजू की अधिक पैदावार होने से किसानों की क्षेत्र में अलग पहचान बन गई है.नगदी खेती करने से साल में एक किसान की एक लाख रूपए से अधिक की अतिरिक्त आमदनी हो रही है.
आम के सहारे हो रही बेहतर आमदनी
दरअसल बुकना के पहाड़ी कोरवा रूधाराम पैरो से चलने में असमर्थ है, वह धान की खेती नहीं कर पाते थे. उन्होंने बाड़ी में आम के पौधे लगाए है. अब उनकी सालाना 60 हजार से लेकर 1 लाख रूपये तक की आमदनी हो रही है और पूरे परिवार का खर्च उनसे चलता है. आम के पेड़ों पर बौर के आते ही रूधाराम अपनी बाड़ी में खाट लगाकर रखवाली को शुरू कर देते है. आज वह अपनी आमदनी के बढ़ने से अच्छी जिंदगी को जी रहे है. वह अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पा रहे है. उनको अंतरवर्तीय फसल लेने से बाड़ी से पर्याप्त आमदनी हो सकती है.
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