इंसान हो या मौसम, बेवफा हर कोई होता है, और जो इसकी बेवफाई का शिकार होते हैं, उनके दिल को बड़ा धक्का लगता है. उनकी ख्याली इबारतें मुकम्मल होने से पहले ही अधूरी रह जाती हैं. अब भला हम बेवफाई को लेकर इतनी लंबी तकरीरें क्यों पेश कर रहे हैं, यही सोच रहे होंगे न आप, तो यह सब हम वाराणसी के किसानों के संदर्भ में पेश रहे हैं. कल तक अपनी ख्याली इबारतों को धरातल पर उतारने में मशगूल रहने वाले ये किसान खौफजदा हैं.
इंसान हो या मौसम, बेवफा हर कोई होता है, और जो इसकी बेवफाई का शिकार होते हैं, उनके दिल को बड़ा धक्का लगता है. उनकी ख्याली इबारतें मुकम्मल होने से पहले ही अधूरी रह जाती हैं. अब भला हम बेवफाई को लेकर इतनी लंबी तकरीरें क्यों पेश कर रहे हैं, यही सोच रहे होंगे न आप, तो यह सब हम वाराणसी के किसानों के संदर्भ में पेश रहे हैं. कल तक अपनी ख्याली इबारतों को धरातल पर उतारने में मशगूल रहने वाले ये किसान खौफजदा हैं.
यहां हम आपको बताते चले कि मौसम के बिगड़े मिजाज की वजह से किसानों को उनकी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. अब ऐसे में फौरी राहत के तौर पर किसानों को जो समझ में आया, उन्होंने ठीक वैसा ही कदम उठाना मुनासिब समझा है. बता दें कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब किसानों द्वारा गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम अपने चरम पर पहुंच चुका था.
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कृषि शोध के प्राविधिक ओमकारनाथ ने बताया है कि अगर बेमौसम बारिश होती है, तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं की फसल को होगा. इससे पहले ही मई जून की गर्मी फरवरी में झेलने के बाद फसलों को अत्याधिक नुकसान हुआ है.
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