कहा जाता है कि "हौंसले अगर बुलंद हो, तो इंसान क्या नहीं कर सकता है". जी हां, अगर हम अपने काम में दिल लगाकर मेहनत करें, तो हर चीज़ मुमकिन हो सकती हैं और यही जूनून कर्नाटक के प्रोग्रेसिव फार्मर अमाई महालिंग (Karnataka Progressive Farmer Amai Mahalinga) में है. बता दें कि गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में गिने जाने वाले पद्म पुरस्कारों की सूची में दो प्रगतिशील किसान (Progressive Farmer of India) भी शामिल हैं.
कौन है वो दो किसान जिन्हे मिलेगा पद्मश्री अवार्ड (Who are those two farmers who will get Padma Shri award)
इनमें से एक कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में मंगलुरु से "टनल मैन" अमाई महालिंग नाइक (Amai Mahalinga Naik, "Tunnel Man" from Mangaluru) है, जिनकी हम बात करने जा रहे हैं और दूसरा उत्तर प्रदेश (यूपी) में सहारनपुर जिले के नंदी फिरोजपुर गांव के सेठपाल सिंह (Sethpal Singh of Firozpur village) हैं, जिनकी हम बात कर चुके हैं. यह पुरस्कार मार्च-अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में दिए जाएंगे.
पहाड़ी पर लगाया पौधा (Plant on Hill)
पद्मश्री सूची में दूसरे किसान अमाई महालिंग नाइक 72 साल के हैं. उन्होंने अकेले ही अपनी दो एकड़ जमीन को सींचने का काम किया और बंदरगाह शहर मंगलुरु से 50 किमी दक्षिण-पूर्व में अद्यानाडका के पास एक पहाड़ी पर एक छोटा सा पौधा लगाने में सफल रहे हैं.
कई मजेदार खेती कर करते हैं अमाई महालिंग (Amai Mahaling does many interesting farming)
नाइक ने चट्टानी दो एकड़ जमीन की सिंचाई करने का काम अपने दम पर कर लिया है. उन्होंने अपने श्रम के बल पर बंजर भूमि को 300 से अधिक सुपारी, 75 नारियल के पेड़, 150 काजू के पेड़, 200 केले के पौधे और काली मिर्च की बेलों के साथ एक सुंदर खेत में बदल दिया है.
समस्या और समाधान (Problem and Solution)
पहले Amai Mahaling खेत पर केवल सूखी घास ही दिखाई देती थी और नाईक सुपारी और नारियल तोड़कर गुजारा करता थे. एक जमींदार महालिंग की ईमानदारी से प्रसन्न हुए और उन्हें 1978 में एक बंजर भूमि उपहार में दी.
नाइक ने दो एकड़ जमीन पर एक झोपड़ी बनाई और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वहीं रहने लगे. जमीन एक पहाड़ी पर थी और सबसे बड़ी परेशानी ढलान थी. पानी नहीं था और उपलब्ध होने पर भी इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता था. इस जमीन पर फसल उगाने के लिए पानी जरूरी था.
Amai Mahaling वाटर रिटेंशन के बारे में तभी सोच सकते थे, जब पहले पानी होगा. समस्या यह थी कि वहां पानी कैसे लाया जाए. तभी वह अपने हरे-भरे खेत के सपने को साकार कर सकता थे, जहां वह अपनी इच्छानुसार फसल उगा सकते थे.
फिर उन्होंने अकेले ही इस कार्य को अंजाम दिया. इन्होंने पानी के लिए बहुत मेहनत की, साथ ही इन्होंने दूसरों के खेतों में अपना काम जारी रखते हुए, अपने खेतों में सुरंग खोदना शुरू कर दिया क्योंकि वह वहां किसी भी कीमत पर पानी लाना चाहते थे.
महालिंग ने पहाड़ों से कैसे निकला पानी (How did Mahalinga get water out of the mountains?)
वहां के ग्रामीण इनकी सुरंगों की प्रगति का उत्सुकता से अनुसरण कर रहे थे, लेकिन फिर जो इन्होंने ग्रामीणों की आलोचना को नजरअंदाज कर दिया और असफलता इन्हें रोक नहीं पाई. वह कहता रहे, “एक दिन ऐसा आएगा जब इस जगह में हरियाली के लिए पर्याप्त पानी होगा” और फिर भाग्य ने उनका साथ दिया और यही हुआ. जी हां, वह अपने पांचवें प्रयास में पानी लाने में सफल हो गए, जहां फिर उनकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा.
अगली आवश्यकता खेती के लिए ढलान वाली पहाड़ी से समतल-समतल भूखंड बनाने की थी. काम के लिए पत्थरों की आवश्यकता होगी, लेकिन आधा किलोमीटर के आसपास कोई पत्थर नहीं था.
नाइक ने अकेले ही अपने कार्यस्थल से 6,000 से अधिक लेटराइट पत्थरों को अपने खेत में रिटेनिंग वॉल बनाने और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ले गए. जब वह अपने दैनिक कार्य से लौटते थे तो उन्होंने यह कार्य रॉक दर रॉक (Rock by Rock) प्रत्येक दिन किया.
मिसाल बनकर उभरे किसान अमाई (Farmer Amai emerged as an example)
आज जो हरा-भरा खेत बंजर और पथरीली पहाड़ी पर लहलहा रहा है, वह नाइक के लिए न केवल खुशी की बात है, बल्कि हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है और पद्म श्री इस श्रम और भक्ति की एक उपयुक्त पहचान है.
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