खेती-बाड़ी का स्वरूप अब कॉरपोरेट हो गया है, जिसकी वजह इसका व्यवसायीकरण होना ही है। विभिन्न उद्योग-धंधों का आधार बनने के कारण आज एग्रीकल्चर सेक्टर का काफी विस्तार हुआ है, जिसके तहत आज कई रूपों में कॅरियर के अवसर मौजूद हैं...
कृषि क्षेत्र के बदले माहौल का परिणाम है कि अन्य क्षेत्रों की ही तरह एग्रीकल्चर सेक्टर भी युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि परंपरागत कृषि तक ही सीमित न रहने की बजाय इस सेक्टर का आज काफी विस्तार हुआ है और अब इसमें कई तरह के कॅरियर विकल्प विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होने लगे हैं।
वैसे भारत को आज भी कृषि प्रधान देश कहा जाता है, क्योंकि कंप्यूटर के इस जमाने में भी कृषि क्षेत्र की आज भी प्रधानता है और देश की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा जीविकोपार्जन के लिए कृषि और इससे संबंधित कॅरियर विकल्पों पर ही आधारित है। शिक्षा से संबंधित शर्तों को पूरा करके आप भी अपनी इच्छानुसार कृषि से जुड़े किसी विकल्प को अपने कॅरियर निर्माण का आधार बना सकते हैं।
1. एग्रीकल्चर
विभिन्न संस्थानों में कृषि से संबंधित ग्रेजुएशन और पीजी लेवल के कोर्स उपलब्ध हैं। साइंस संकाय से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी ग्रेजुएशन कोर्स के लिए आवेदन कर सकते है। इसके बाद पीजी कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है।
बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, भागलपुर
www.bausabour.ac.in/
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
www.pau.edu/
2. एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट
कृषि का कारोबारी स्वरूप बन जाने के कारण इससे संबंधित सभी जरूरतों को एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट के माध्यम से पूरा किया जाता है। इससे संबंधित प्रोफेशनल्स इस बात का ध्यान रखते हैं कि किस तरह कृषि उत्पादनों को आधुनिक जरूरतों के अनुसार उपयोगी बनाया जा सके। इसके तहत कृषि उत्पादन से जुड़े विभिन्न संसाधनों को शामिल किया जाता है, जैसे कृषि उपकरण, बीज, ऊर्जा, खाद्य पदार्थ आदि। इतना ही नहीं, इसके तहत पैकिंग, स्टोरेज, प्रोसेसिंग, ट्रांसपोर्टेशन, इंश्योरेंस, मार्केटिंग आदि कई सेवाएं शामिल होती हैं। एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट के अधिकांश कोर्स पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर के ही हैं।
कॉलेज ऑफ एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट, जीबी पंत यूनिवर्सिटी, पंतनगर
www.cabm.ac.in
कॉलेज ऑफ एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
www.pau.edu
3. एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग
कृषि के क्षेत्र में भी उत्पादकता बढ़ाने के लिए ही एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग जैसे विषय की शुरुआत हुई। कृषि उपकरणों को बनाने के अलावा इसकी मदद से कृषि से संबंधित अन्य समस्याओं को सुलझाया जाता है। बीई/बीटेक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग आदि इस क्षेत्र से संबंधित कोर्स हैं। फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स अथवा बायोलॉजी से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं। जेईई (मेंस/एडवांस्ड) के माध्यम से आईआईटी संस्थानों में प्रवेश मिलता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बीएचयू, वाराणसी
http://www.bhu.ac.in/ias/
चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर
www.csauk.ac.in
4. प्लांट पैथोलॉजी
प्लांट पैथोलॉजी के तहत वनस्पतियों के विभिन्न रोगों का अध्ययन किया जाता है। इसके तहत बैक्टीरिया, फंगस, वायरस, माइक्रोब्स आदि पर गहन शोध किया जाता है, ताकि पेड़-पौधों को विभिन्न बीमारियों से बचाया जा सके। गौरतलब है कि उत्कृष्ट कृषि उत्पादन के लिए पेड़-पौधों का रोगरहित होना जरूरी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बेंगलुरु
www.uasbangalore.edu.in
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
www.pau.edu/a
5. डेयरी टेक्नोलॉजी
दूध और इससे बने पदार्थों की खपत और उपयोगिता के मद्देनजर देश की एग्रो-बेस्ड अर्थव्यवस्था में भी डेयरी उद्योग का महत्वूपर्ण स्थान है। इससे संबंधित कोर्स में डेयरी प्रोडक्ट्स, डेयरी इक्विपमेंट, मिल्क प्रोडक्शन, मिल्क प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग, डेयरी मैनेजमेंट आदि की जानकारी दी जाती है। साथ ही इंश्योरेंस और मार्केटिंग के बारे में भी बताया जाता है।
आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, आनंद
www.aau.in
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल
www.ndri.res.in
6. फ्लोरीकल्चर
फ्लोरीकल्चर के तहत फूलों के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ इसके कारोबारी विस्तार की समस्त बारीकियां बताई जाती हैं। विभिन्न संस्थानों में फ्लोरिकल्चर से संबंधित पाठ्यक्रम डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के रूप में उपलब्ध हैं। फूलों की खेती, किस्मों का विकास, फूलों का रखरखाव, पैकेजिंग और उनकी मार्केटिंग से संबंधित विषयों की पढ़ाई इसके तहत होती है।
कॉलेज ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, अरुणाचल प्रदेश
http://eastsiang.nic.in/html/horticulture/ home.htm
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
www.kuk.ac.in
7. सेरिकल्चर
रेशम उत्पादन से संबंधित सेरिकल्चर कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी सेरिकल्चर से जुड़े पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। बीएससी इन सेरिकल्चर, बीएससी इन सिल्क टेक्नोलॉजी आदि इस विषय से संबंधित खास कोर्स हैं।
सेंट्रल सेरिकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मैसूर
www.csrtimys.res.in
शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, जम्मू
www.skuastkashmir.ac.in
8. रूरल मैनेजमेंट
देश का विकास सही अर्थों में तभी संभव है, जब शहरों की ही तरह ही गांवों का भी विकास हो और वहां भी लोगों को शहरों की तहर ही तमाम सुविधाएं मिलें। रूरल मैनेजमेंट का संबंध गांवों के संतुलित विकास से ही है। इसके तहत विभिन्न ग्रामीण क्रियाकलापों को व्यवस्थित रखने की बारीकियां बतलाई जाती हैं। किसी भी संकाय से ग्रेजुएट अभ्यर्थी इससे संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद
www.irma.ac.in
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर
www.iirm.ac.in
मौके ही मौके हैं इस फील्ड में
इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स की जरूरत एग्रीकल्चर इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर कंसल्टेंसी, हाईटेक फार्मिंग, वेयरहाउसिंग, सीड एवं पेस्टीसाइड कंपनी, एग्री बैंकिंग, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फर्टिलाइजर, फ्लॉवर फार्मिंग कंपनी आदि विभिन्न क्षेत्रों में बनी रहती है। इन क्षेत्रों में प्लांटेशन मैनेजर, क्वालिटी मैनेजर, बायर, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस मैनेजर, एग्रीकल्चर इंजीनियर आदि विभिन्न रूपों में काम करने के अवसर मिलते हैं। संबंधित सभी क्षेत्रों में रिसर्च के काफी काम होते हैं, जहां जरूरत बनी रहती है। इसके अलावा टीचिंग के क्षेत्र में भी राहें तलाशी जा सकती हैं। कृषि क्षेत्र से जुड़े एनजीओ में भी मौके मिलते हैं। इससे जुड़ी सरकारी नौकरियों से संबंधित रिक्तियां समय-समय पर निकलती रहती हैं, जिन पर नजर रखनी चाहिए।
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