किसानों की आय को बढ़ावा के सरकार के प्रयास पर जलवायु पानी फेर सकती है. एक ओर तो सरकार किसानों की आय को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है दूसरी और आर्थिक सर्वेक्षण ने अपना अनुमान जारी करते हुए कहा कि मौसम की मार इस बार किसानों पर बुरी पड़ने वाली है. आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुमान में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मध्यावधि में फार्म इनकम 20 से 25 फीसदी तक कम रह सकती है.
सर्वे में इस बात को बहुत जोर देकर कहा गया है कि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सिंचाई की सुविधाओं में इजाफा किया जाना चाहिए. सरकार ने भी किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कदमों को मजबूती के साथ उठाने और उनकी सफलता का आंकलन करने पर जोर दिया है. वही सर्वेक्षण में जीएसटी काउंसिल का जिक्र करते हुए कहा गया कि किसानों की आय बढ़ाने और कृषि सेक्टर में सुधार के लिए जीएसटी काउंसिल जैसा एक तंत्र बनाया जाए. रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम की मार का असर भारतीय कृषि पर दिख रहा है. इस वजह से मिड टर्म में फार्म इनकम पर 20 से 25 फीसदी का असर पड़ सकता है. इस बार पशुधन से होने वाली आय में भी 15 से 18 फीसदी की कमी हो सकती है आर्थिक सर्वेक्षण कहा गया कि मौसमी हालात और घटते जलस्तर को देखते हुए यह बहुत जरूरी हो गया है कि सिंचाई की सुविधा का विस्तार किया जाए. अभी 45 से 50 फीसदी खेतों में सिंचाई की सुविधा है, बाकी मानसून के भरोसे ही खेती हो रही है.
सिंचाई की अच्छी सुविधा न होने की वजह से कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कई इलाके मौसम की मार से सबसे ज्यादा नुकसान में रहेंगे. इसलिए इन क्षेत्रों में सिंचाई के तरीकों में सुधार करना बहुत ही आवश्यक हो गया है. सरकार को इस पर ध्यान देना आवश्यक है कि किन तरीकों से सिंचाई के इस संकट से निपटा जा सकता है. इसके लिए सरकार को पहले से ही इसके लिए योजना बनानी होगी.
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