छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल में बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया. गौरतलब है कि 2 अक्टूबर को हर साल गाँधी जयंती के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंहिंसा दिवस भी मनाया जाता है. सत्य और अहिंसा को लेकर बापू सदैव ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते रहे. ऐसे में यह दिन सभी भारतवासियों के लिए गर्व का दिन होता है.
इस दिन के महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसको छत्तीसगढ़ राज्य के लिए और भी ख़ास बना दिया. मुख्यमंत्री ने कहा एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे. अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्व को देख लें.
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत गोठानो के जरिये किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद पहले से बना रही है. गोबर के लाभ और महत्व को समझते हुए अब उसी गोबर से बिजली तैयार करने की शुरुआत भी 2 अक्टूबर से की जा चुकी है.
गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी. कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ हम पशुपालन और उससे जुड़ी हुई चीज़ों को भी आगे लेकर निकलने के प्रयास में लगे हुए हैं. अब तक जहाँ सिर्फ गाय के गोबरों का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में घर लिपने, पूजा-पाठ के काम आता था. अब वही कई अन्य चीजों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है.
अगरबत्तियों की कंपनियों से लेकर अब इसका इस्तेमाल बिजली बनाने में भी किया जाएगा. हरित क्रांति की ओर अपना कदम बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ की सरकार ने कहा पूरा विश्व ग्रीन रेवोलुशन की ओर पूरी ताकत से बढ़ रहा है. ऐसे में जरुरत है कि हम भी इसे उतनी ही गंभीरता और जोश के साथ लेकर आगे बढ़ें.
अब गोबर से बनाई जाएगी बिजली
छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार एक यूनिट से 85 क्यूबिक घनमीटर गैस बनेगी. कैलकुलेशन के मुताबिक एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है. इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन होगा. इस प्रकार तीनों गौठानों (तबेले) में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन किया जाएगा. जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ–साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा.
इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी. इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी. इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा. ग्रीन रेवोलुशन के साथ-साथ सरकार ने ये भी ध्यान रखा है कि कैसे महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाया जाए.
गौठानों के माध्यम से की जा रही गोबर की खरीद, किसानों को मिल रहा मुनाफा
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. जिसमें से 6,112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है. गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक गोबर खरीदी की जा चुकी है. जिसके एवज में किसानों को 102 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है. गोबर गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है.
गौठानों के माध्यम से की जा रही गोबर की खरीद, किसानों को मिल रहा मुनाफा
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. जिसमें से 6,112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है. गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक गोबर खरीदी की जा चुकी है. जिसके एवज में किसानों को 102 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है. गोबर गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है.
ग्रामीण इलाकों में जहां गोबर के उपले बनाकर उसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. वहीं, अब इसका इस्तेमाल गोधन न्याय योजना के तहत बिजली उत्पादन में किया जाएगा. जिसका मूल्य 2 रुपए प्रति किलोग्राम पर ग्रमीणों, किसानों और पशुपालकों को दी जाएगी. वहीं गोठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट किसानों को 10 रुपये प्रति किलो के दर से दी जाती है.
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