कहते हैं इंसान अगर हिम्मत कर ले, तो फिर क्या मुश्किल है. हिम्मत की ऐसी ही एक कहानी कर्नाटक के एक छोटे से गांव में रहने वाले कलमेना कमेगड़ा से जुड़ी हुई है. हम में से अधिकांश लोग किसी न किसी बात को लेकर नाखुश रहते हैं. हम बदलाव तो चाहते हैं, लेकिन उस बदलाव के लिए संघर्ष करने से डरते हैं.
दुनिया में अधिकांश काम इसलिए खराब रह जाते हैं, क्योंकि हर कोई किसी और की प्रतीक्षा में बैठा रहता है. पर कलमेना की कहानी कुछ अलग है, उन्होंने न सिर्फ बदलाव का सपना देखा बल्कि उस सपने को सच करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी. दरअसल 72 वर्षीय कलमेना ने अपने इलाके में 16 तालाबों का निर्माण अकेले अपने बल पर करवाया है.
पिता के सपने को किया पूरा
इन तालाबों के निर्माण के लिए वो चार दशकों से भी अधिक समय तक शासन और प्रशासन से जंग लड़ते रहे. गांव में एक समय ऐसा था, जब किसी को भरोसा नहीं था कि यहां तालाब होंगे. कलमेन बताते हैं कि उनके पिता का सपना था कि इस गांव में तालाब हो, वो कई बार कहते थे कि गांव की नमी वाली मिट्टी पर तालाब का निर्माण बहुत आराम से हो सकता है, जिससे हजारों लोगों को फायदा होगा.
तालाब बनाने के लिए बेच दिए भेड़
इन तालाबों के निर्माण के लिए कलमेन ने अपने कई उत्तम किस्म के भेड़ बेच दिए. वो कहते हैं कि गांव में पानी की कमी के कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था, इसलिए उन्होंने ये फैसला लिया. आज कर्नाटक में उन्हें लोग प्यार से पॉन्ड मैन भी कहते हैं.
वैज्ञानिक तरीकों से करवाया निर्माण
कलमेन ने जिन तालाबों का निर्माण करवाया है, वो पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं. भीषण से भीषण गर्मी में भी इनका जल सूखता नहीं है. इसके निर्माण में फावड़ियों और मिट्टी के अचार का उपयोग किया गया है.
सरकार से मिला कई सम्मान
कलमेन को कर्नाटक सरकार की तरफ से कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. अभी हाल ही में पीएम मोदी भी मन की बात में उनका जिक्र कर चुके हैं.
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