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राजधानी दिल्ली में देश भार से आये किसानों ने महंगाई, न्यूनतम भत्ता, कर्जमाफी समेत कई बड़े मुद्दों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्श किया. किसानों ने मार्च का आह्वान बुधवार सुबह रामलीला मैदान से किया और उनका यह मार्च रामलीला मैदान तक पहुंचा. इस प्रदर्शन में देश के अलग-अलग राज्यों से आये किसानों ने भाग लिया. वहीं प्रमुख तौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश,बिहार, केरल, बंगाल से आए किसानों ने हिस्सा लिया. प्रदर्शन के दौरान किसानों की संख्या ज्यादा होने की वजह से दिलली की सड़कें हांफती दिखीं और यहां के कई प्रमुख मार्गों पर जाम लग गया. मार्च में मौजूद किसानों ने कहा है कि चुनाव तो आते-जाते हैं, लेकिन सरकार की नीतियां गलत हैं. सरकार को किसानों, मजदूरों और गरीबों को लेकर अपनी नीतियों को बदलना चाहिए.
किसानों और मजदूरों का साथ देने येचुरी भी पहुंचे
किसानों की रैली में मोदी सरकार पर हमला बोलने के लिए सीपीआई (M) महासचिव सीताराम येचुरी भी पहुंचे. उन्होंने मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आज सरकार के खिलाफ देश की जनता में साफ तौर पर आक्रोश देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों और गरीबों के साथ धोखा किया है जिसके कारण लाखों की संख्या में किसान दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को जा अच्छे दिन का वादा किया था उसमें वो असफल हुए हैं और अब अच्छे दिन तभी आएंगे जब इस देश से यह सरकार हटेगी. 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर येचुरी ने कहा कि वह पूरी केशिश करेंगे की आगे मौजूदा सरकार को हटाया जाए और एक बेहतर भारत को बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते हम एक देशव्यापी आंदोलन का ऐलान करेंगे.
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क्या है किसानों और मजदूरों की प्रमुख मांग?
सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी भत्ता 18000 रुपया प्रतिमाह तय किया जाए.
किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों, गरीब खेती मजदूर और किसानों का कर्ज माफ हो.
हर ग्रामीण इलाके में मनरेगा ठीक तरीके से लागू हो, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और घर की सुविधा मिले.
बता दें कि इस महारैली में मौजूद किसानों ने चेतावनी दी है की अगर सरकार उनकी मांगों को अगर नहीं मानती है तो आने वाले समय में एक बड़ा आंदोलन करेंगे. किसानों का कहना है कि 28, 29, 30 नवंबर को देश के 201 किसान संगठन हर राज्य से दिल्ली की ओर कूच करेंगे.
जिम्मी
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