आम्रपाली आम की बागवानी ने अफीम की खेती के लिए मशहूर झारखंड के खूंटी जिले के लोगों के जीवन को आसान बना दिया है. जिला प्रशासन ने भी यहां पर अजीविका मिशन को बढ़ावा दिया है. यहां पर केंद्र सरकार की मनरेगा और राज्य सरकार की बिरसा आम बागवानी योजना के संयुक्त प्रयास से तोरपा महिला मंडल की महिलाएं अब आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है. आज महिलाएं बंजर जमीन पर आम की बागवानी करके महिला मंडल की महिलां राज्य सरकार की ग्रामीण अजीविका मिशन योजना को सार्थक बनाने में जुटी है.
परिवार में घुली आम की मिठास
तोरपा क्षेत्र में अब आम की उन्नत प्रजाति आम्रपाली की खेती से आसपास के बाजारों में खुद की मिट्टी में खिले आम की मिठास पहुंचने लगी है. आम्रपाली अब आम के मिठास से अब परिवार में भी मिठास आने लगी है, महिलाओं का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई लिखाई, घर का अन्य राशन-पानी भी आम बागवानी के माध्यम से होने लगी है. आम के पौधों के बीच बरसात और जाड़ें के मौसम में आलू, बैंगन, भिंडी, कददू, करेला और अन्य सब्जियों का उत्पादन किया जाता है. अब यहां पर पूरे वर्ष सब्जी और बागवानी से जीवन निर्वाह आसान बन गया है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन आसान बन गया है.
नई खेती तकनीक से महिलाओं की बनी अलग पहचान
केंद्र सरकार की कृषि आधारित योजनाओं ने महिला मंडल समूहों को अजीविका की नई राह को दिखाने में मदद की है, इसके अलावा महिलाएं भी नई तकनीक से खेती करके खुद की अलग पहचान को बना रही है, नक्सल और अफीम के कारण यह जिला बदनाम था लेकिन सरकार ने इस जिले को एक नई पहचान देने का कार्य आंरभ किया है. आज सभी महिला इसको पूरा करने का कार्य कर रही है. जल्द ही खूंटी जिला आर्थिक रूप से सशक्त, पलायन मुक्त और विकासशील जिला बनेगा.
आमदनी दुगना करने का माध्यम बनी योजना
ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा संचालित बिरसा मुंडा आम बागवानी योजना खूटी जिले के तोरपा प्रखण्ड के गांवों में महिलाओं की आमदनी को दोगुना करने का माध्यम बन गई है. अब सभी महिलाएं आम की खेती को करके 30 से 40 हजार से लेकर एक से डेढ़ लाख रूपये आराम से कमा रही है. आने वाले समय में महिलाओं को इस आम की खेती से और अधिक मुनाफा होने की भारी उम्मीद है.
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