देश और विदेश को कोरोना वायरस (Coronavirus) ने अपनी चपेट में ले रखा है. इसका प्रकोप लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. इसके साथ ही देशों की अर्थव्यवस्था पर भी असर कर रहा है. एक तरफ लोगों की जान खतरे में है, तो वहीं दूसरी तरफ देशों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था सरकार को चिंता में डाली हुई है. कोरोना वायरस का अब ऐसा असर हो गया है कि इसकी वजह से चीन के कृषि उत्पादों का निर्यात भी छूट सकता है. इसको देखते हुआ, यह माना जा रहा है कि अब जल्द ही भारतीय कृषि उत्पादों (Indian Agricultural Products) की मांग बढ़ने वाली है.
किसान कल्याण मंत्रालय खंगाल रहा संभावनाएं
भारतीय कृषि उत्पादों (Indian Agricultural Products) की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ सकती है. इसकी तैयारी में किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Farmers Welfare) जुट गया है. वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से निकलने वाली निर्यात की मांग को देख रहा है और उसने करीब 21 वस्तुओं को चिन्हित भी कर लिया है. इनमें आलू, प्याज, मूंगफली, शहद और सोयाबीन प्रमुख हैं.
वैश्विक बाजार में भारत की कम हिस्सेदारी
अगर देखा जाए, तो वैश्विक बाजार में चीन के कृषि उत्पादों के निर्यात ज्यादा होता है. इसके मुकाबले भारत की हिस्सेदारी काफी कम है. साल 2018 में भारत का कृषि उत्पादों का निर्यात करीब 444.59 करोड़ डॉलर था. ऐसे में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ना अच्छा माना जा रहा है. यह अवसर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की अपनी पहचान बनाएगा. कहा जाता है कि वैश्विक बाजार पर चीन का कब्जा था.
भारतीय कृषि निर्यातकों को फायदा
यह अवसर भारतीय कृषि निर्यातकों को बहुत फायदा देने वाला है. माना जा रहा है कि दुनियाभर में चीन के कृषि उत्पादों को प्रतिबंधित किया जा सकता है. बाजार के जानकारों की मानें तो चीन के कृषि उत्पादों पर टैरिफ लाइन द्वारा रोक लगाई जा सकती है. अब कृषि मंत्रालय अपनी तैयारियों का एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है. अनुमान लगाया जाए तो कोरोना वायरस के कहर ने जनवरी और फरवरी में ही चीन के कृषि उत्पाद के निर्यात में लगभग 17 प्रतिशत तक की कमी ला दी थी.
चिन्हित कृषि उत्पाद
भारत चीन के साथ जिन कृषि उत्पादों के निर्यात में प्रतिस्पर्धा कर सकता है, उन्हें चिन्हित किया गया है. इस सूची में प्राकृतिक शहद, आलू, प्याज, मिर्च, आम, अंगूर, अमरूद, सेब, काजू, लीची, चाय, मसाले, मूंगफली, तिल, धान, सोयाबीन, सब्जियों के बीज, कुछ सुगंधित पौधे और जड़ी बूटियां शामिल हैं. कृषि मंत्रालय का मानना है कि अगर चीन से भारत में कृषि उत्पादों का आयात रुक जाए, तो हमारे देश के घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ पाएगा.
आंकड़ों के मुताबिक...
भारत ने चीन से साल 2018-19 में लगभग 10.9 करोड़ डॉलर यानी लगभग 763 करोड़ रुपये मूल्य के कुल सात कृषि उत्पादों का आयात किया था. इसमें राजमा, कैस्सिया, ताजा अंगूर और पौधे की हिस्सेदारी लगभग 84 प्रतिशत थी. कृषि मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय बांस मिशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत भारत इन सभी वस्तुओं में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुका है. जानकारी के लिए बता दें कि भारत चीन के लिए आम का पल्प और कॉटन लिंटर का निर्यात करता है, चीन इसकी प्रोसेसिंग करता है, इसके बाद वह इसको दूसरे देशों को निर्यात कर देता है. इसके अलावा भारत ने साल 2018-19 में लगभग 19.1 करोड़ डॉलर यानी लगभग 1,337 करोड़ रुपये शिमला मिर्च, ईसबगोल और जीरे का निर्यात किया है. ऐसे में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ना देश के किसानों के लिए औऱ कृषि क्षेत्र, दोनों की लिए एक अच्छा अवसर माना जा रहा है.
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