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मोटे अनाज का भोजन की थाली में सम्मानजनक स्थान होना चाहिए- तोमर

- गेहूं व चावल के साथ मोटे अनाज का भी भोजन की थाली में सम्मानजनक स्थान उपलब्ध कराने के लिए इस बार अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष 2023 बनाया जाएगा

लोकेश निरवाल
मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक खपत बढ़ेगी
मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक खपत बढ़ेगी

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि गेहूं व चावल के साथ मोटे अनाज का भी भोजन की थाली में पुनः सम्मानजनक स्थान होना चाहिएपोषक-अनाज को देश-दुनिया में बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही भारत की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष 2023 में मनाया जाएगाजिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल की थी व 72 देशों ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था.

केंद्रीय मंत्री तोमर ने यह बात आज एग्रीकल्चर टुडे द्वारा आयोजित एग्रीकल्चर लीडरशिप एंड ग्लोबल न्यूट्रिशन कान्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में कहीतोमर ने कहा कि कोविड महामारी ने हम सभी को स्वास्थ्य व पोषण सुरक्षा के महत्व का काफी अहसास कराया हैहमारी खाद्य वस्तुओं में पोषकता का समावेश होना अत्यंत आवश्यक हैअंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाए जाने से मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक खपत बढ़ेगीजिससे रोजगार में भी वृद्धि होगी एवं अर्थव्यवस्था और मजबूत होगीउन्होंने कहा कि भारतीय परंपरासंस्कृतिचलनस्वाभाविक उत्पाद व प्रकृति द्वारा जो कुछ भी हमें दिया गया हैवह निश्चित रूप से किसी भी मनुष्य को स्वस्थ रखने में परिपूर्ण हैलेकिन कई बार समय निकलता जाता है और आधुनिकता के नाम परव्यस्तता के कारण अनेक बार हम अच्छी चीजों को शनैः शनैः भूलते जाते है तथा प्रगति के नाम पर बहुत-सारी दूसरी चीजों को अपने जीवन में अपनाते जाते हैप्रगति तो आवश्यक है लेकिन प्रकृति के साथ अगर प्रगति का सामंजस्य रहें तो यह हम सबके लिएमानव जीवन व देश के लिए ज्यादा अच्छा हैआज हम बहुत-सारी चीजों को ढूंढते हैं व महंगे दामों पर भी खऱीदते हैंउनमें कई ऐसी हैंजिनके बीज कोई संजोकर नहीं रखता या जिन्हें किसान बोते भी नहीं है लेकिन आज भी प्राकृतिक रूप सेमौसम के अनुसार वे पैदा होती हैजिन लोगों को उनकी गुणवत्ता मालूम हो गईवे उन्हें उपयोग करते हैईश्वर ने भी संतुलन का ध्यान रखा है.

तोमर ने कहा कि मिलेट्स हमारे देश में कोई नहीं चीज नहीं हैपहले स्वाभाविक रूप से साधन-सुविधाएं कम थे लेकिन हमारे कृषि क्षेत्रगांव व समाज का ताना-बाना ऐसा था कि छोटे किसान भी अपनी आवश्यकतानुरूप खेती करते थे और जो खाद्यान्न बचता थाउसे बाजार में ले जाते थेधीरे-धीरे खेती करते समय ज्यादा मुनाफे की प्रतिस्पर्धा हुईजिससे जिंसों की उगाही बदल गई और गेहूं व धान पर अवलंबन ज्यादा हो गयाहमारे किसान देश को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम हैवहीं हम दुनिया को भी आपूर्ति कर रहे हैंलेकिन धीरे-धीरे मिलेट्स का स्थान थाली में कम होता गयाप्रतिष्ठा की प्रतिस्पर्धा में मिलेट्स थाली से गायब होता चला गया परंतु अब जब हमारा देश खाद्यान्न व बागवानी की अधिकांश उपज के मामले में अग्रणी है तो पोषक-अनाज की ओर ध्यान जाता है.

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आज पोषकता की आवश्यकता है, अनुसंधान भी काफी गहराई से हो रहा है, बारीकी से उसका विश्लेषण किया जा रहा है. जगह-जगह व्याख्यान हो रहे हैं, विद्वान चिंतन कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए मिलेट्स जरूरी है. इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि मिलेट्स के लिए हमें काम करना चाहिए और उनकी पहल पर योग की तरह देश-दुनिया में मिलेट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है, प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर मिलेट्स का उत्पादन व खपत बढ़ रही है.

कार्यक्रम में डा. एम.जे. खान ने स्वागत भाषण दिया. ममता जैन ने आभार माना. इस अवसर पर फिलिपिंस के पूर्व कृषि मंत्री  विलियम डार, डा. तरूण श्रीधर, अरूण बरल, डा. सांईराम सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद थे.

English Summary: Coarse grains should have a respectable place in the food plate - Tomar Published on: 14 December 2022, 12:23 PM IST

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