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आज हम बात कर रहे हैं यौगिक कृषि के बारे में इसका तात्पर्य खेत में फसल का उत्पादन करना नहीं बल्कि किसानो को बुरी आदतों से मुक्त करवाना, क्रुप्रथा और अन्धविश्वास को रोकना, कम लागत की खेती करवाना, सकारात्मक सोच पैदा करना, आचरण में शुद्धता एवं रोग से निजात दिलाना है |
ध्यान और मैडिटेशन करने से भी खेती होती है और बढ़िया खेती होती है सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा |लेकिन अपना चिंतन और चरित्र सुधार कर अच्छी खेती की जा सकती है |खेती करने के इस तरीके को कहा जाता है यौगिक कृषि |
इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता और उपज भी बहुत बढ़िया होती है | यह खेती प्रेम,भावना और श्रद्धा से की जाती है इसका फल भी उतना ही अच्छा मिलता है |
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यौगिक खेती करने का तरीका :
यौगिक खेती के लिए शुद्ध भावना का प्रयोग और ध्यान लगाने की जरूरत आवश्यक है ताकि किसान अपनी अच्छी शक्तियों को बीज में समेटे फिर मैडिटेशन रूम में रखकर सुबह सवेरे परमात्मा का ध्यान कर संकल्प करते है की उनकी शक्तिया बीज के अंदर आए | कहते है कि शुद्ध भावनाओं से पेड़ -पौधें अच्छे से बढ़ते हैं| इसलिए किसानो को अच्छी भावनाओं के साथ अच्छा चिंतन और साफ़ चरित्र रखने के लिए प्रेरित किया जाता है |
यौगिक खेती में कीटनाशक और जहरीली दवाइयों के स्थान पर जैविक पदार्थो के इस्तेमाल को तवज्जो दी जाती है| 4000 से ज्यादा किसान इस तरह की खेती करना सीख रहे है महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान आदि के लोग इस खेती में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे है इस खेती को करने के लिए किसान प्रशिक्षण ले रहे हैं|
इस खेती में 1.5 से 2 गुणा उपज होती है और इसे करने का ज्यादा खर्च भी नहीं होता और यह एक फायदेमंद खेती है जो किसानों को फायदे के साथ-साथ एक नेक इंसान भी बनाएगी |
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पांच-तत्वों का संवाद :
यौगिक कृषि के मूल में है पञ्च तत्व -वायु ,जल,आकाश,भूमि,अग्नि से संवाद स्थापित करना| इससे प्रकृति का सहयोग पेड़- पौधों को मिलता है |
वैज्ञानिक दृष्टि से :
वैज्ञानिकों का मानना है की यौगिक कृषि करने से पौधों में रोग जैसी समस्या नहीं होती और उपज भी बढ़ती है और उर्वरा शक्ति में विकास आता है |
सरकारी वित्तीय सहायता :
जो खेती के परंपरागत तरीके यौगिक खेती जैसी विभिन प्रकार की खेती को अपनाएंगे उन्हें सरकार द्वारा 48,००० रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी |
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