यकीन मानिए, अगर सरसों तेल के दाम में गिरावट का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो वो दिन दूर नहीं, जब किसानों के आय का बहुत ब़ड़ा स्रोत उनके हाथ से चला जाएगा. शायद आपको पता न हो कि विदेशी बाजारों में हमारे भारत में उगाए गए सरसों की खूब मांग है, जहां से हमारे किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा भी प्राप्त करते हैं, लेकिन पता नहीं…किस कंबख्त ने बीते दिनों यह अफवाह फैला दी कि सरसों मे लगने वाले आयात शुल्क में भारी इजाफा होने जा रहा है.
बस… फिर क्या...आग की तरह फैली इस अफवाह ने देखते ही देखते विदेशी बाजारों में सरसों के दाम में गिरावट ला दी. जिसका नतीजा यह हुआ कि जहां एक तरफ विदेशी बाजारों में सरसों की मांग में कम हुआ और हमारे किसान भाई की आय पर इसका नकारात्मक असर पड़ा, तो वहीं इस घाटे की भरपाई के लिए घरेलू बाजार में इसकी कीमत में इजाफा किया गया है, जिससे आम आदमी का पूरा दैनिक बजट बिगड़ चुका है.
अब किसान भाइयों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. बाजार विशेषज्ञ इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहते हैं कि अगर आज से 10 साल पहले हमने सरसों की तेल में जारी गिरावट को रोक दिया होता, तो आज हमें ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता और इसकी अच्छी पैदावार भी जारी रहती, मगर अफसोस सरसों में मिश्रण का सिलसिला जारी रहा, जिसका असर उसके आय के साथ-साथ उसके उत्पादन भी पड़ा है.अब ऐसे में आगे चलकर किसान भाई व सरकार क्या कुछ कदम उठाती है. यह देखना काफी दिलचस्प रहेगा.
यहां हम आपको बताते चले कि जब से यह खबर आई है कि सरकार आगामी 8 जून से सरसों में मिश्रण की कवायद पर रोक लगा सकती है, जिसकी वजह से सरसों के तेल के दाम में कमी आ गई है. मौजूदा समय में सरसों का भाव चर्चा का विषय़ बना हुआ.
खैर, अब आगे चलकर सरसों के दाम क्या रूख अख्तियार करते हैं. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि जगत से जुड़ी कुछ बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए... कृषि जागरण.!
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