कृषि योग्य भूमि दिन प्रतिदिन उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. जिस तरह से यह उर्वरा शक्ति कम हो रही है ठीक उसी प्रकार से फसल पैदावार भी चिंता का एक विषय बनती जा रही है. क्योंकि लगातार यह भी घटती जा रही है. ऐसे मने फसल पैदावार को बढ़ाना आवश्यक हो गया है. इसका कारण कृषि रसायनों का अंधाधुंध इस्तेंमाल है. लेकिन जीवामृत एक ऐसा उपाय है. जिससे किसानों को खेती में लाभ के साथ-साथ लागत भी कम आती है. किसानों के लिए जीवामृत को अपनाना इस समय जरुरी हो गया है. यह मुख्य रूप से जैविक तरीके से बनाया गया खाद होता है. अभी तक जीवामृत को खुले रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब इसको ड्रिप सिंचाई के माध्यम से भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पृथ्वीराज जीवामृत फ़िल्टर के माध्यम से संभव है. इस फ़िल्टर का निर्माण करने वाली कंपनी के डायरेक्टर चेतन बोरा बताते हैं, कि इस फ़िल्टर के माध्यम से अच्छा जीवामृत तैयार होता है जिसके माध्यम से जीवामृत को सीधा ड्रिप लाइन से जोड़ा जा सकता है.
इस फ़िल्टर में जीवामृत तैयार करने के लिए पहले 25 प्रतिशत तक पानी भर लें उसके बाद उसमें 50 लिटर गौमूत्र, 10 किलो गुड, 10 किलो बेसन आटा और 60 किलो गोबर इस प्रकार मिलाकर डालें की पूरा फ़िल्टर भर जाए. बाद में दिन में 2-3 दो तिन बार यह मिश्रण घुमाए. यह लगभग 4 दिन तक करें. उसके बाद फ़िल्टर का आउटलेट नल खोल दीजिए तो पूरी तरह छाना हुआ जीवामृत मिलेगा. जिसको आप ड्रिप इरीगेशन लाइन से सीधा जोड़ सकते हैं. जीवामृत पूरी तरह से निकलने के बाद वापस से आउटलेट न. 2 से पानी भर दे. पूरा पानी भर जाने पर आउटलेट को बंद कर दें. उसके बाद माइक्रो फ्लश और फ्लश वाल को खोल दे. इससे बचा हुआ कचरा बहार आ जायेगा. फिर से जीवामृत तैयार हो जायेगा. सबसे खास बात यह है कि इस फ़िल्टर के माध्यम से जीवामृत को इस्तेमाल करने में लेबर कोस्ट कम हो जाती है. जिससे किसान के पैसे की बचत होती है और समय कम लगता है. यह एक अनोखा उत्पाद है. इसके माध्यम से किसान अच्छा उत्पादन ले सकते है और बचत कर सकते हैं.
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