हाल ही में मीडिया में यह खबर आई थी कि हरियाणा में किसान नियामक स्वीकृति के बिना बीटी बैंगन की खेती कर रहे हैं. यद्यपि इसके आनुवांशिक संशोधन का मूल स्रोत अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन कुछ लोगों को यह पता है कि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश बहुत पहले से ही बीटी बैंगन का उत्पादन बढ़ा रहा है. क्योंकि, वहां की सरकार ने अक्टूबर 2013 में इसकी खेती और उपयोग को मंजूरी दे दी थी. ऐसे में सभी तर्कों के साथ, यह समझना जरुरी है कि बीटी बैंगन के वजह से क्या प्रभाव पड़ सकता है. फार्मिंग फ्यूचर बांग्लादेश के निदेशक के अनुसार, मैं कई वर्षों से बांग्लादेश में बीटी बैंगन किसानों के साथ काम कर रहा हूं. मैंने देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में कई बार क्षेत्र का दौरा किया है. बेशक उनकी विशिष्ट स्थितियों और प्रभावों में भिन्नता है, जिनमें कुछ स्पष्ट निष्कर्ष हैं जिन्हें खींचा जा सकता है -
2014 में जब पहली बार सीमित पैमाने पर आंकड़ा जारी किया गया था उसमें बढ़ रही बांग्लादेशी किसानों की संख्या में केवल 20 उछल दर्ज की गई, जब यह पहली बार सीमित पैमाने पर जारी किया गया था. तो वही साल 2017 में मोटे तौर पर 6,512 और साल 2018 में 27,012, देश में बैंगन उत्पादकों का का आंकड़ा था जो की कुल बैंगन किसानों का लगभग 17% था. पिछले पांच वर्षों में, लगभग सभी बांग्लादेशी बैंगन किसानों ने बीटी बैंगन उगाना शुरू कर दिया है, जिससे यह तेजी से अपनाई गई जीएम खाद्य फसल है. बांग्लादेश के सभी सब्जी उगाने वाले जिलों में किसान अब बीटी बैंगन का उपयोग करते हैं. कुल मिलाकर, बीटी बैंगन बांग्लादेशी किसानों में बहुत लोकप्रिय रहा है.
बीटी बैंगन क्यों हो रहा लोकप्रिय
इसके लोकप्रियता का कारण यह है कि बीटी बैंगन, बैंगन में लगने वाले मुख्य कीट शूट बोरर के विनाशकारी प्रभाव का मुकाबला करने के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है. बीटी बैंगन का जीन एक प्रोटीन पैदा करता है जो बोरर कीट के लिए विषाक्त है लेकिन अन्य प्रकार के कीड़ों और मनुष्यों के लिए हानिकारक है. ऐसे में बीटी बैंगन फल में कम कीट क्षति और फल उत्पादकता अधिक है. गौरतलब है कि बीटी बैंगन को फल के खिलाफ छिड़काव और बोरर कीट को मारने की आवश्यकता नहीं है, जिसका अर्थ है कि किसान स्प्रे पर समय और धन की मात्रा को कम कर सकते हैं. बांग्लादेश के 35 जिलों में बढ़ रहे 850 किसानों के बांग्लादेश ऑन-फार्म रिसर्च डिवीजन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि उनकी कीटनाशक लागत 61% तक गिर गई.
भारत में बैन
बांग्लादेश का बीटी बैंगन भारत में जीएमओ विवाद में खींचा गया है. दरअसल UBINIG नामक एक संगठन, जो कि जैविक खेती को बढ़ावा देता है और आनुवंशिक इंजीनियरिंग का विरोध करता है, उसने इसी साल फरवरी में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि कुछ किसान खराब प्रदर्शन के कारण बीटी बैंगन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बंद कर रहे थे. इस बात की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन बांग्लादेशी किसानों के पास एक विकल्प है. वे या तो बीटी बैंगन उगा सकते हैं यदि वे चाहें या वे पारंपरिक किस्मों के साथ जारी रख सकते हैं. हालांकि 2010 में मनमोहन सरकार के द्वारा अनिश्चितकालीन स्थगन के बाद से भारतीय किसानों को इस स्वतंत्रता से वंचित रखा गया है.
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