
GI Tag: जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) क्षेत्रीय उत्पाद पर लगाया जाता है, जो वह उस क्षेत्र की पहचान बताता है. जैसे कि- बिहार की पहचान लिट्टी- चोखा वहां की शान है, इसलिए इस शहर के Litti Chokha चना सत्तू और बथुआ को जीआई टैग GI Tag दिलाने के लिए औपचारिक तौर पर आवेदन करने की मंजूरी दी गई. जोकि बिहार के लोगों के लिए बहुत गर्व की बात है. यह BAU सबौर बिहार के किसानों की भी आमदनी/Farmers' income दुगनी करेगा और राज्य की कृषि संपदा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाएगा. ये कदम इन उत्पादों की बाजार पहुंच को और अधिक सशक्त बनाएंगा.
GI Tag में बिहार के ये 11 मशहूर उत्पाद
इस साल में बीएयू, सबौर ने 30 उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया है, जिसमें 8 उत्पाद को शामिल किया गया है. पटना दुहिया मालदा, बिहार सिंघाड़ा, सीता सिंदूर, हाजीपुर का चिनिया केला, मगही ठेकुआ, बिहार तिलौरी और बिहार अधौरी इन सभी उत्पादों को जीआई टैगिंग के लिए भेजा जा चुका है.
बिहार के 11 उत्पाद बनेंगे मार्केट की शान
मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार के अभी तीन प्रोडक्ट को चुना गया है और साथ ही बिहार के कुल 11 कृषि उत्पादों को आधिकारिक रूप से जीआई पंजीकरण जीआई टैगिंग GI Tag के लिए भेजा गया है. दरसअल, बैठक में जीआई पंजीकृत उत्पादों के उपयोगकर्ताओं की संख्या को 1000 तक बढ़ाने का ग्राफ बनाया गया है, जिसमें की निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकें. ये जो पहल है प्रोडक्ट को राष्टीय और अंतर्राष्ट्रीय/National and international markets बाजारों में पहचान दिलाना किसानों की आमदनी को भी बढ़ायेगा और किसानों को इसका अधिक फायदा होगा.
आगे की योजना
बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि बिहार के अधिक से अधिक पारंपरिक कृषि उत्पादों को जीआई टैगिंग प्राप्त हो, इस वर्ष का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है, जो बिहार को जीआई हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
लेखक - रवीना सिंह
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