Fourth Agriculture Road Map: देश के किसानों को खेती करने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. किसानों की कृषि समस्याओं और कृषि दशा सुधारने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से अनेक योजनाएं चलाई जाती हैं. इसी कड़ी में बिहार सरकार (Bihar Government) ने राज्य के चौथे कृषि रोड मैप (Fourth Agriculture Road Map) की तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं. राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार का सब कुछ सही रहा तो सरकार के नए कृषि रोड मैप से प्रदेश के किसानों की आय डबल हो जाएगी.
सरकार डीजल खरीद पर दे रही सब्सिडी
बिहार सरकार किसानों को डीजल खरीद पर सब्सिडी दे रही है. राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश सरकार किसानों को डीजल पर 75 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. प्रदेश सरकार यह 38 जिलों के 10.02 लाख किसानों के खाते में 151.17 करोड़ रुपये सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर की है.
अधिकारियों के मुताबिक सरकार साल 2023 में इससे अधिक किसानों को इस योजना का लाभ देने की तैयारी कर रही है. बता दें कि सरकार की इस योजना के तहत किसान सुलभ मूल्यों पर खेतों की सिंचाई कर पाते हैं, जिसके कारण किसानों पर आर्थिक बोझ कम पड़ रहा है.
सूखे और बारिश ने किसानों की खरीफ फसलें की बर्बाद
गौरतलब है कि इस बार बिहार में खरीफ फसलों का सीजन बेहद खराब रहा है. इस बार बाढ़ ने किसानों की खरीफ फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसके बाद सूखे और बारिश से फसलें बर्बाद हुई जिसके कारण किसानों की करोड़ो रुपये की फसल बर्बाद हो गई. प्रदेश सरकार ने खरीफ फसल के हुए नुकसान की भरपाई के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं.
सरकार ने बारिश प्रभावित क्षेत्रों में फ्री बीज वितरण किया है. इस योजना के तहत प्रदेश के 14 जिलों 3,31,259 को 17,125 क्विंटल बीज फ्री वितरण किया है. साथ ही कृषि विभाग ने हर खेत में पानी पहुंचाने के लिए 7200 एकड़ क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई योजना से जोड़ दिया गया है, सरकार कृषि रोड मैप के तहत साल 2023 में किसानों को इस योजाना का और लाभ दिया जाएगा.
क्या है कृषि रोड मैप और कब हुआ लागू
गौरतलब है कि बिहार की अर्थव्यवस्था और कृषि पर आधारित है. सरकार किसानों के लिए अनेक योजनाएं लाती रहती है. लेकिन जिनमें कृषि रोड मैप सबसे प्रमुख होता है. बिहार में करीब 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि खेती किसानी के योग्य है और 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका कृषि पर ही निर्भर करती है, राज्य में जीडीपी का 18 प्रतिशत हिस्सा कृषि से ही आता है.
2008 में तैयार किया गया था कृषि रोड मैप
सरकार ने किसानों की आमदनी और फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं, इसी कड़ी में बिहार सरकार ने पहली बार साल 2008 में पहला कृषि रोड मैप तैयार किया था, जिसको सुचारू रूप से समायोजन के लिए 17 फरवरी 2008 को किसान पंचायत का आयोजन किया था.
दूसरा कृषि रोड मैप 2011 में तैयार किया
बिहार सरकार ने साल 2011 में दूसरा कृषि रोड मैप तैयार करने के लिए कृषि कैबिनेट का गठन किया, साथ ही इसके विस्तार के लिए 18 विभागों को इसमें सम्मलित किया गया. इस रोडमैप में 2017 तक विस्तृत कार्यक्रम था और 2022 तक के लिए सांकेतिक टारगेट निर्धारित किया गया था. बता दे कि दूसरे कृषि रोड मैप से किसानों की फसलों और उत्पादकता में व्यापक वृद्धि हुई थी. कृषि रोड मैप की सफलता के कारण बिहार को वर्ष 2012 में चावल, वर्ष 2013 में गेहूं और वर्ष 2016 में मक्का के उत्पादन में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए भारत सरकार की ओर से कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया. वहीं साल 2012 में धान की 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और आलू के 729 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का विश्व कीर्तिमान स्थापित हुआ था.
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2017 में तीसरा कृषि रोड मैप लागू किया गया
बता दें कि सरकार के तीसरे कृषि रोडमैप में जैविक खेती के साथ-साथ फसलों के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया था.साथ ही रोडमैप में किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ यह भी टारगेट रखा गया था कि हर भारतीय की थाली में कम से कम एक बिहारी का व्यंजन जरूर हो. बता दें कि बिहार सरकार ने 9 नवबंर 2017 को तीसरा कृषि रोडमैप लागू किया था.
वहीं बिहार सरकार चौथे कृषि रोड मैप में गांव को जोड़ने से के साथ-साथ बीज उत्पादन, कृषि विस्तार और जलवायु अनुकूल के लिए विशेष कार्यक्रम चलाएगी. सरकार इन योजनाएं का लाभ किसानों को इसी साल से देने का प्रयास कर रही है.
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