बेमौसमी बारिश किसानों की मेहनत पर अकसर पानी फेर देती है. मौसम के बिगड़े मिजाज का आलम कभी – कभी यह होता है कि किसान की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. खरीफ सीजन में हुई रिकॉर्ड बारिश ने खरीफ की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया था. यही नहीं ओलावृष्टि और तेज हवाएं भी फसलों के लिए काल बनी. जिससे किसान अभी भी मायूस हैं और मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. अब इसी क्रम में बिहार के लाखों किसानों को फसल बीमा योजना (Crop Insurance Policy) की सौगात मिलने वाली है. दरअसल मंगलवार को बिहार में कैबिनेट ने किसानों से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है. बिहार कैबिनेट ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए फसलों के नुकसान के लिए कुल 518 करोड़ रुपए निर्गत किए गए हैं. साथ ही कृषि इनपुट सब्सिडी के लिए राशि भी निर्गत की गई है. इसके अलावा कैबिनेट बैठक में फसल बर्बादी पर चर्चा की गई. मार्च में ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात में फसलों की क्षति को लेकर कृषि इनपुट सब्सिडी की भी घोषणा की गई है. जानकारी के लिए बता दें कि किसानों को राहत देने के लिए पहले भी कैबिनेट मीटिंग में फसल बर्बादी पर चर्चा की गई थी.
25 लाख किसानों ने कराया फसल बीमा योजना
मिली जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार बहुत जल्द किसानों के खातों में रकम भेजनी शुरू कर देगी. गौरतलब है कि खरीफ की फसल को हुए नुकसान के सर्वे के बाद इन किसानों को क्षतिपूर्ति का हकदार माना गया था. खरीफ की फसल के लिए लगभग 25 लाख किसानों ने फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण कराया था. बता दें कि पंजीकृत किसानों की फसल के नुकसान पर उनके क्लेम के बाद सर्वे होता है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही राशि जारी की जाती है. यह सर्वे फसल की कटाई के समय होता है.
फसल बीमा योजना के तहत मिलेगा पैसा
किसानों को यह रकम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत नहीं बल्कि बिहार राज्य फसल सहायता योजना के तहत मिलना है. इस स्कीम को भी पीएम फसल बीमा योजना की तर्ज पर ही शुरू किया गया है. दो साल पहले शुरू की गई इस स्कीम के तहत यदि प्रति हेक्टेयर 20 फीसदी फसल का नुकसान होता है तो 7,500 रूपए की रकम मिलती है. यही नहीं इस स्कीम के तहत किसानों को कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता है. हालांकि पीएम फसल बीमा योजना के तहत खरीफ की फसल में 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल पर 1 पर्सेंट का प्रीमियम किसानों को देना होता है. दरअसल इस पूरी योजना में किसी बीमा कंपनी का कोई दखल नहीं होता है. सरकारी एजेंसियों की ओर से नुकसान का आकलन किया जाता है और फिर उसकी भरपाई की जाती है.
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