दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी की निगाहें बिहार की तरफ हैं. दिल्ली में सत्ता और सियासत का परिणाम भले आम आदमी के पक्ष में आया है, लेकिन उससे सबक सभी पार्टियों को मिला है. यही कारण है कि बिहार चुनाव में सभी पार्टियों का लक्ष्य जनता के वास्तवितक मुद्दों की तरफ है. विशेषज्ञों की मानें तो इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की कमान जदयू युवा नेताओं के हाथों में ही देगी.
दिल्ली के परिणामों को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हिंदुत्व और राष्ट्रवाद कार्ड की जगह किसानों और ग्रामीण मुद्दों को तरजीह दे सकते हैं. कम से कम बिहार के सुशासन बाबू को जानने वालों का तो यही मानना है कि राज्य के ग्रमीण मुद्दों को जदयू प्रमुखता से उठाएगी. इस बात को कई उदाहरणों से समझा जा सकता है. जैसे कि बिहार की राजनीति में विशाल प्रताप सिंह को नई जिम्मेदारी मिली है.
ग्रामीण मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं विशाल प्रताप
बिहार के औरंगाबाद जिले में शायद ही कोई ऐसा होगा जो विशाल प्रताप को नहीं जानता होगा. अद्वितीय संस्कृति की पहचान रखने वाले इस जिले में 13 वर्षो से अधिक समय से वो सेवाएं दे रहे हैं. इसी बात को देखते हुए पार्टी ने अब उन्हें प्रदेश महासचिव बनाया है. इतना ही नहीं जदयू सहकारिता प्रकोष्ठ का भी विस्तार किया गया है. जिले के चार नेताओं को प्रदेश कमेटी की जिम्मेवारी दी गई है. तय योजना के अनुसार किसानों के धान क्रय का ब्यौरा अधिकारियों से लिया जाएगा. जदयू शायद इस बात को समझने में कामयाब रही है कि किसानों की समस्याओं को ग्रमीण परिवेश से आने वाला कोई युवा नेता ही समझ सकता है.
इस बारे में विशाल प्रताप ने बताया कि जदयू किसानों और ग्रामीण मुद्दों के लिए सदैव काम करती आ रही है. इसी बात का प्रमाण है कि बिहार में चार वर्षों से चल रही नल-जल योजना अब पूरे देश को आकर्षित कर रही है. भारत सरकार खुद इस योजना को जल-जीवन मिशन के नाम से लागू करने जा रही है. उन्होंने कहा कि युवा जदयू के प्रदेश महासचिव के पद पर रहते हुए उनका प्रथम लक्ष्य किसानों और ग्रामीण मुद्दों को सुलझाना ही होगा.
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