बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) सबौर ने छठे अंतरराष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस (IAC-2025) में अपनी वैज्ञानिक क्षमता का लोहा मनवाते हुए इतिहास रच दिया है। आपको बता दें कि विश्वविद्यालय के स्टॉल को प्रदर्शनी में पहला स्थान (First Position) हासिल हुआ और इसे पूरे कार्यक्रम के दौरान 'बेस्ट एक्जीबिटर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि पूर्वी भारत की कृषि अब वैश्विक मंचों पर अपनी मजबूत पहचान बना रही है।
इस बात की जानकारी देते हुए बताया गया कि BAU Sabour ने डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, के नेतृत्व में 16 विशेषज्ञ वैज्ञानिकों और 2 पीएचडी शोधार्थियों का एक मजबूत प्रतिनिधिमंडल इस सम्मेलन में भेजा था। निदेशक अनुसंधान के कुशल मार्गदर्शन में तैयार यह स्टॉल पूरे सम्मेलन का सबसे चर्चित केंद्र बन गया, जहाँ टीम ने अपने शोध, तकनीकों और नवीन मॉडलों का बेहद प्रभावी प्रदर्शन किया।
BAU Sabour के स्टॉल पर देश-विदेश से आए आगंतुकों का तांता लगा रहा। इनमें विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, ICAR संस्थानों के निदेशक, विदेशी प्रतिनिधि, विशेषज्ञ वैज्ञानिक और विभिन्न राज्यों के उन्नत किसान शामिल थे। हर किसी ने विश्वविद्यालय की प्रदर्शन तकनीकों को सराहा। कई विशेषज्ञों ने तो इसे “सबसे उपयोगी और सबसे अभिनव स्टॉल” करार दिया।
स्टॉल पर जिन उत्पादों ने सबसे ज्यादा आकर्षण खींचा, वे थे मखाना (GI उत्पाद), कतरनी चावल, मिलेट्स (श्री-अन्न) और ड्रैगन फ्रूट। मखाना की वैज्ञानिक गुणवत्ता, पौष्टिकता और निर्यात संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। वहीं, मिलेट्स की हाई-यील्ड तकनीकें और ड्रैगन फ्रूट की कम लागत-ज्यादा लाभ वाली खेती की दिशा ने किसानों और उद्यमियों को गजब का उत्साह दिया।
BAU Sabour ने आधुनिक और भविष्य-उन्मुखी तकनीकों का शानदार प्रदर्शन किया। इसमें क्लाइमेट-स्मार्ट खेती के मॉडल, पानी बचाने वाली उन्नत तकनीकें, बाढ़ और सूखा प्रबंधन के प्रभावी उपाय, मिलेट और जीआई उत्पादों की वैल्यू चेन और एआई आधारित कृषि पूर्वानुमान जैसी आधुनिकता शामिल थी। विशेषज्ञों का मानना है कि ये तकनीकें पूर्वी भारत की खेती को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती हैं।
इस उपलब्धि पर डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति BAU Sabour ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “BAU का यह प्रदर्शन हमारी वैज्ञानिक क्षमता और किसानों के लिए नई दिशा देने वाली तकनीकों का उत्कृष्ट उदाहरण है। Best Exhibitor Award हमारे लिए गर्व का पल है।” डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान ने इस सफलता की पुष्टि करते हुए कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि विज्ञान और तकनीक से ही पूर्वी भारत की कृषि को भविष्य-योग्य बनाया जा सकता है। IAC-2025 में BAU Sabour का यह प्रदर्शन, न केवल बिहार बल्कि पूरे पूर्वी भारत की कृषि को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हुआ है।
Share your comments