प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM Kisan Samman Nidhi scheme) में बड़ा बदलाव किया गया है. दरअसल, इसो योजना के पात्र किसानों को लाभ देने के लिए मोदी सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में लाभार्थियों की लिस्ट डिस्प्ले करने का निर्देश दिया है.
यह काम राज्य सरकारों के लिए करना ज़रूरी है. इससे नकली किसान लाभ नहीं उठा पाएंगे. अभी लोगों को नहीं पता है कि उनके गांव में किन-किन खेती के लिए सरकारी मदद मिल रही है. मगर सरकार के नए फैसले से हर ग्रामीण को यह जानकारी होगी कि कौन-कौन लाभ उठा रहा है. इससे फर्जी लाभार्थियों की पहचान आसान हो जाएगी.
सरकार का प्रयास है कि इस तरह ग्रामीण ही एक दूसरे की पोल खोलने लग जाएंगे. इतना ही नहीं, इस योजना का सोशल ऑडिट (Social Audit) करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं. इससे उन तमाम किसानों को सूची से बाहर किया जाएगा, जो कि योजना के पात्र नहीं हैं, लेकिन फिर भी सालाना 6 हजार रुपए ले रहे हैं. यह ऑडिट हल्का पटवारी और तहसीलदार के निर्देश पर गांव पंचायत (Gram panchayat) स्तर पर किया जाएगा.
कितना बड़ा फर्जीवाड़ा
मोदी सरकार की ड्रीम स्कीम में फर्जीवाड़े की वजह से काफी सख्ती दिखाई जा रही है. अब तक की सबसे बड़ी किसान योजना है. इस पर हर साल 75 हजार करोड़ रुपए तक खर्च करने का लक्ष्य है. जानकारी है कि इस योजना में लगभग 33 लाख फर्जी लाभार्थी शामिल हैंय इन लोगों ने सरकार को 2326 करोड़ रुपए तक का चूना लगाया है.
इतनी हुई रिकवरी
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 231 करोड़ रुपए वसूले गए हैं. मगर अब भी 17 राज्यों से एक भी रुपए की रिकवरी नहीं हुई है. बिहार सरकार की बात करें, तो यहां के फर्जी किसानों की सुविधा के लिए बाकायदा रिकवरी लिस्ट जारी कर दी गई है.
इसमें हर ग्रामसभा के ऐसे किसानों (Farmers) के नाम और फोन नंबर दिए गए हैं, जिन्होंने अवैध रूप से योजना का लाभ उठाया है. मगर यहां 34 करोड़ की जगह मात्र 70 हजार रुपएए की वसूली हो पाई है.
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