पश्चिम बंगाल में पोल्ट्री उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. कोरोना संक्रमण बढ़ने को लेकर राज्य में पोल्ट्री मुर्गी के मांस की बिक्री पर अचनाक एक तरह से विराम लग गया था. पहले तो मुर्गी के मांस से मनुष्यों में कोरोना वायरस फैलने की अफवाह से राज्य के पोल्ट्री उद्योग में खलबली मच गई. अचानक चिकेन की बिक्री एक तरह से थम गई. अफवाह दूर करने की कोशिश चल रही थी कि तब तक देश में लॉकडाउन लागू हो गया. रही सही कसर चक्रवाती तूफान ‘अंफान’ ने पूरी कर दी. अंफान ने राज्य के तटवर्ती दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर और हावड़ा हुगली समेत एक दर्जन से अधि जिलों में भारी तबाही मचाई. अंफान के कारण कई जिलों में पोल्ट्री फार्म तहस नहस हो गए.
पश्चिम बंग पोल्ट्री फेडरेशन के मुताबिक अभी राज्य में 40 प्रतिशत पोल्ट्री फार्म बंद है. राज्य में अंडे और मुर्गी के मांस की जो मांग है, उसको ही पूरा करने लायक उत्पादन नहीं हो पा रहा है. अन्य राज्यों में मुर्गी और अंडे की आपूर्ति के बारे में तो अभी सोचा भी नहीं जा सकता है. फऱवरी में मुर्गी के मांस से कोरोना वायरस फैलने की अफवाह से लेकर अंफान के बाद अब तक राज्य में पोल्ट्री उद्योग को लगभग 1400 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
राज्य में पोल्ट्री उद्योग को पटरी पर लाने में अब समय लगेगा. लेकिन नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को आगे आना होगा और बैंक को भी पोल्ट्री व्यावसायियों को कर्ज देना होगा.
फेडरेशन के मुताबिक कोरोना संक्रमण से पहले राज्य में विभिन्न पोल्ट्री फार्म से प्रति सप्ताह 2 करोड़ 80 लाख किलो मुर्गी की बिक्री होती थी. बंगाल से प्रति सप्ताह 70-80 लाख किलो मुर्गी बिहार, झारखंड, ओड़िशा और असम आदि राज्यों में आपूर्ति की जाती थी.
लेकिन अब राज्य में मुर्गी की बिक्री 1 लाख 70 करोड़ किलो तक सिमट कर रह गई है. हालांकि पशु संसाधन मंत्री स्वपन देवनाथ का मानना है कि राज्य में मुर्गी के मांस और अंडे की जितनी जरूरत है उसकी पूर्ती राज्य के पोल्ट्री फार्मों से पूरा हो जा रही है. अन्य राज्यों में आपूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाना होगा. मंत्री ने कहा है कि सरकार 12 लाख मुर्गी के चूजे वितिरत करेगी. पोल्ट्री उद्योग को संकट से उबारने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल पोल्ट्री क्षेत्र में देश का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. राज्य के पोल्ट्री उद्योग पर लाखों लोगों की आजीविका निर्भर करती है. मुर्गी के मांस से कोरोना वायरस फैलने की अफवाह देश की सीमा पार कर विदेशों तक फैल गई. अफवाहों को विराम देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगे आना पड़ा. डब्ल्यूएचओ ने मुर्गी के मांस से कोरोना वायरस फैलने की अफवाह को सिरे से खारिज कर दिया है. संस्था ने अपनी वेबसाइट पर इस संबंध में अपटडेट जारी करते हुए कहा है कि अच्छी तरह से पके हुए मांस सुरक्षित होता है और उसे खाने से कोई नुकसान नहीं होता है. हालांकि इस बारे में लोगों को और जागरूक करने की जरूरत है.
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