
बौद्धिक संपदा संरक्षण और ग्रामीण नवाचार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications - G.I.) पंजीकरण की प्रगति पर 11वीं समीक्षा बैठक आयोजित की गई. डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, BAU की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बिहार को देश का दूसरा सबसे अग्रणी राज्य घोषित किया गया, जिसने G.I. उपयोगकर्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है.
प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियां
G.I. उपयोगकर्ताओं की संख्या 1,247 पहुँची – अब केवल महाराष्ट्र से पीछे
बिहार ने 1,247 पंजीकृत G.I. उपयोगकर्ताओं के साथ 1,000 के लक्ष्य को पार कर लिया है. यह वृद्धि वैज्ञानिक प्रमाणीकरण, क्षेत्रीय सत्यापन और कानूनी पात्रता के आधार पर सुनिश्चित की गई है. अब लक्ष्य है – 2,000 उपयोगकर्ताओं तक पहुँचना और देश का नंबर 1 राज्य बनना.
17 उत्पादक समितियाँ हुईं पंजीकृत – G.I. उत्पादों को मिला संस्थागत आधार
अब तक 17 G.I.-आधारित उत्पादक समितियाँ औपचारिक रूप से पंजीकृत की जा चुकी हैं, जो गुणवत्ता नियंत्रण, सामूहिक विपणन और वैज्ञानिक ब्रांडिंग की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी.
13 G.I. आवेदन प्रस्तुत, 5 और तैयार
अब तक 13 वैज्ञानिक रूप से तैयार आवेदन G.I. रजिस्ट्री, चेन्नई को भेजे जा चुके हैं, और 5 और आवेदन अंतिम समीक्षा की प्रक्रिया में हैं. इन सभी में भौगोलिक स्रोत की पुष्टि, ऐतिहासिक प्रमाण, आर्थिक प्रभाव, और वैज्ञानिक परीक्षण शामिल हैं.
वैज्ञानिकों को दिए गए नए प्रस्तावों पर कार्य करने के निर्देश
बैठक में डॉ. ए.के. सिंह ने वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वे नए संभावित G.I. उत्पादों की पहचान करें और ऐसे प्रस्ताव लाएँ जिनमें स्थानीय विशिष्टता, आनुवंशिक पहचान, और आर्थिक संभावनाएँ हों.
दिग्गजों की दूरदर्शी बातें
डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, BAU सबौर ने कहा: “G.I. केवल एक कानूनी टैग नहीं है, यह हमारी पारंपरिक विरासत की वैज्ञानिक पहचान और आर्थिक संभावना का प्रतीक है. BAU इसका नेतृत्व करते हुए किसान-केंद्रित नवाचार और वैज्ञानिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.” डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, ने कहा: “1,000 से अधिक पंजीकृत G.I. उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा विज्ञान और टीमवर्क की जीत है. अब हमारा अगला लक्ष्य है — बायोकेमिकल प्रोफाइलिंग, आणविक विश्लेषण, और मूल्य शृंखला एकीकरण के साथ उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना.”
BAU सबौर – एक उभरती हुई G.I. शक्ति
BAU सबौर का G.I. सुविधा केंद्र, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और स्थानीय उत्पादकों के साथ जुड़ा नेटवर्क इसे सिर्फ G.I. पंजीकरण का नहीं, बल्कि ग्रामीण उद्यमिता, पारंपरिक ज्ञान संरक्षण, और वैश्विक मान्यता का प्रमुख केंद्र बना रहा है.
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