"पोषक अनाज है गुणों का खज़ाना, सस्ता सुगम है इसे खेतों में उगाना", यह कहावत बाजरे पर एकदम सटीक बैठती है, क्योंकि यह दोहरे उद्देश्य वाली फसल है. इसकी खेती भोजन और चारे दोनों के रूप में की जाती है. इस प्रकार यह लाखों परिवारों को भोजन व आजीविका सुरक्षा प्रदान करता है और खेती की आर्थिक दक्षता में योगदान देता है. इसके साथ ही बाजरे की फसलें (Millet Crops) जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान देती हैं, क्योंकि यह वायुमंडलीय कार्बन CO2 को कम करने में मदद करती हैं.
बाजरा पाक कार्निवाल (Millet Culinary Carnival)
ऐसे में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा दिल्ली हाट आईएनए में 29 से 31 जुलाई 2022 तक 3 दिवसीय "बाजरा पाक कार्निवल" का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यक्रम 29 जुलाई दोपहर 2 बजे से शुरू हो जाएगा, जिसमें बाजरा फूड स्टॉल, इन्फोग्राफिक्स, बेकरी उत्पादों के खाद्य प्रदर्शन (भारतीय और मैक्सिकन व्यंजन), स्ट्रीट प्ले, ऑन द स्पॉट ऑडियंस क्विज़ और बाजरे से बनाए जाने वालें स्वादिष्ट स्नैक्स पर पैनल चर्चा की जाएगी.
भारत में बाजरा के शीर्ष 5 राज्य (Top 5 Bajra States in India)
राजस्थान: बाजरा व सोरघम का प्रमुख उत्पादक
कर्नाटक: ज्वार व रागी का प्रमुख उत्पादक
महाराष्ट्र: रागी व ज्वार का प्रमुख उत्पादक
उत्तर प्रदेश: बाजरा का प्रमुख उत्पादक
हरियाणा: बाजरा का प्रमुख उत्पादक
बाजरा (Millet) अनाज प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट में उच्च होते हैं और प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन फ्री होते हैं. यह अनाज इतने स्ट्रांग होते हैं कि इन्हें किसी भी उर्वरक या कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जा सकता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि बाजरा छोटे आकार और कठोर बनावट का होता है जो सूखे और कीटों से लड़ने में सक्षम है. बाजरा का आकार और बनावट इसे मौसम की कठोर परिस्थितियों से बचने में मदद करता है और यही विशेषताएं इसे भारत में खेती के लिए आदर्श बनाती हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2014 से 2021 तक बाजरे की 154 किस्मों को रिलीज़ किया जा चुका है, जो निम्नलिखित है:
ज्वार- 43 किस्में
बाजरा- 52 किस्में
छोटा बाजरा-11 किस्में
प्रोसो बाजरा- 4 किस्में
कोडो बाजरा- 4 किस्में
फिंगर बाजरा- 28 किस्में
फॉक्सटेल बाजरा- 8 किस्में
बरनार्ड बाजरा- 4 किस्में
भारत में बाजरे की खेती का भविष्य (Future of Millet Farming in India)
जहां हमारी आबादी का 14% हिस्सा कुपोषित है, वहीं बाजरा पोषण की कमी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. बाजरा न केवल पोषण संबंधी जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने में मदद कर सकता है, बल्कि ये 'कठोर फसल' होने के कारण बड़ी आबादी का पेट भरने में सक्षम है.
इसके अतिरिक्त, आने वाले वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग और हमारे जलवायु विज्ञान में गंभीर परिवर्तन होने वाले हैं. ऐसे में बाजरा की खेती किसानों को अन्य कृषि फसलों के बीच में उभार सकेगी.
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