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एक वक्त जीडीपी में रखते थे 52 % हिस्सेदारी, आज है फांसी लगाने को मजबूर !

अपनी जमीन पर मेहनत करके फसल उगाने के बाद भी अगर देश के किसान एक अच्छा जीवन नहीं जी पा रहा है तो उसका जीवन विस्थापित जीवन से कम नही है. साल 2013 में 'राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन' (NSSO) के द्वारा कृषि पर निर्भर परिवारों की स्थिति पर एक आकलन के मुताबिक, कृषि पर निर्भर हर एक परिवार का औसत मासिक आय बमुश्किल 6426 रुपये है.

अपनी जमीन पर मेहनत करके फसल उगाने के बाद भी अगर देश के किसान एक अच्छा जीवन नहीं जी पा रहा है तो उसका जीवन विस्थापित जीवन से कम नही है. साल 2013 में 'राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन' (NSSO) के द्वारा कृषि पर निर्भर परिवारों की स्थिति पर एक आकलन के मुताबिक, कृषि पर निर्भर हर एक परिवार का औसत मासिक आय बमुश्किल 6426 रुपये है. एक अन्य अध्ययन के मुताबिक,  खेती से होने वाली आय पर निर्भर 53%  कृषि परिवारों को 0.63 हेक्टेयर से भी कम जमींन पर खेती करनी पड़ती है.

गौरतलब है कि एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति को 1800 से 2200 कैलोरी प्रति दिन भोजन की जरूरत होती है जबकि भारत में हम उत्पादन हर एक व्यक्ति पर 2400 कैलोरी प्रतिदिन करते हैं. लेकिन फिर भी देश के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. भूखे देशों के मामले में भारत उत्तर कोरिया, बांग्लादेश यहां तक कि इराक़ से भी पीछे है. हालांकि उसकी स्थिति पाकिस्तान से बेहतर है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में 20 करोड़ की आबादी एक वक़्त भोजन सही से नही कर पाती.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 'भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. तो वहीं  दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरीब इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं.

एसीएफ की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है, वैसा पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिला है. रिपोर्ट में लिखा गया है, "भारत में अनुसूचित जनजाति (28%), अनुसूचित जाति (21%), पिछड़ी जाति (20%) और ग्रामीण समुदाय (21%) पर अत्यधिक कुपोषण का बहुत बड़ा बोझ है."

आज देश के किसान भुखमरी और कर्ज के वजह से फांसी लगाने को मजबूर है, ऐसे में देश के किसानों को सरकार से सहायता की बहुत ज़रूरत है.  किसानों कि यह वहीं किसानी है जो 1950 में हमारे देश की  जीडीपी में 52% का हिस्सा रखती थी. लेकिन आज 14% है  जो किसानी अपने आप में एक व्यवस्था हुआ करती थी वो आज व्यवस्थाओं की मोहताज़ हो गयी है.

विवेक राय, कृषि जागरण

English Summary: At one time GDP kept 52% stake, today is to be hanged! Published on: 01 December 2018, 04:47 PM IST

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