बिहार कृषि विभाग की ओर से बामेती, पटना के सभागार में 27 जनवरी को विभिन्न राज्यों के कृषि यंत्र निर्माताओं के साथ सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार का उद्घाटन कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने किया. इस कार्यक्रम में कृषि यांत्रिकरण योजना में अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को शामिल करने के उद्देश्य से कृषि यंत्र निर्माताओं से सुझाव प्राप्त किये गये, ताकि राज्य में अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को कृषि यांत्रिकरण योजना में शामिल किया जा सके.
डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने में कृषि यंत्रों की महवपूर्ण भूमिका है. यंत्रों के उपयोग से मानव श्रम एवं समय की बचत होती है. प्रधानमंत्री जी के सपने 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने में आधुनिक तरीके से खेती के लिए फसल उत्पादन से लेकर फसल कटाई तथा कटाई उपरांत प्रसंस्करण में कृषि यंत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है. राज्य में छोटे तथा मंझोले किसानों तथा उनके छोटे-छोटे खेतों मे कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2017-22 के कृषि रोड मैप में विशेष योजना का प्रावधान किया गया है. इस कृषि रोड मैप में 2017-22 के लिए कृषि यांत्रिकरण कार्यक्रम के लिए कुल 1,351.54 करोड़ रुपये व्यय का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने ने कहा कि इस वर्ष कुल 180 करोड़ रुपये किसानों को कृषि यंत्र के खरीद पर अनुदान के रूप में दिया जा रहा है. कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत् कुल 71 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है. किसानों की आवश्यकता के अनुसार अधिकांश कृषि यंत्र राज्य के अंदर ही निर्मित हो, इसके लिए कृषि यंत्र निर्माताओं से सहयोग अपेक्षित है. सरकार भी कृषि यंत्र निर्माताओं को सभी प्रकार के समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करेगी. राज्य की जलवायु पारिस्थितकी के अनुसार कृषि यंत्रों को राज्य के अंदर ही निर्मित करने के लिए इच्छुक सभी उद्यमियों व यंत्र निर्माताओं को विभाग के तरफ से हरसंभव सहायता उपलब्ध करायी जाएगी. विशेषकर वैसे निर्माता, जिनको भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक मापदण्ड में अनुज्ञप्ति नहीं प्राप्त होता है, उनको राज्य में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज,आईआईटी दोनों कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सम्बन्ध कर उनके यंत्रों की गुणवत्ता की जाँच कराकर इन संस्थानों के अनुशंसा के आधार पर सभी प्रकार के अनुदान सुलभ कराये जायेंगे.
डॉ. कुमार ने कहा कि राज्य के अंदर कृषि यंत्रों के निर्माण से जहाँ, एक ओर राज्य में उद्योग का बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य के युवाओं को रोजगार के समुचित अवसर प्राप्त होंगे. स्थानीय स्तर पर कृषि यंत्रों के निर्माण से यंत्रों की लागत मूल्य भी कम आएगा, जिससे राज्य के किसानों को फायदा होगा. उन्होंने कृषि यंत्र निर्माताओं से अपील कि राज्य के किसानों के हित में कम-से-कम मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण कृषि यंत्रों का निर्माण करें, ताकि राज्य के अधिक-से-अधिक किसान आधुनिक तरीके से खेती कर सके. राज्य के अंदर स्थानीय स्तर पर निर्मित कृषि यंत्रों के परीक्षण की व्यवस्था राज्य में ही किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय को यंत्रों के परीक्षण के लिए आधारभूत संरचना के विकास के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से राशि उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि से अनुरोध है कि अतिशीघ्र परीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए, ताकि कृषि यंत्र निर्माताओं को यंत्रों के परीक्षण में कठिनाई नहीं हो.
उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार में फार्म मशीनरी ट्रेनिंग एण्ड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना को मंजूरी दी गई है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा आवश्यक 10 एकड़ जमीन भी पूसा में उपलब्ध करा दिया गया है. उम्मीद है कि शीघ्र ही यह संस्थान कार्य करने लगेगी. पहले से यह संस्थान देश के कुछ चुनिन्दा राज्यों में ही उपलब्ध थी. अब बिहार में भी यह उपलब्ध हो गया है. राज्य के गाँवों एवं पंचायतों के भ्रमण के क्रम में किसानों से उनकी समस्या सुनने के बाद यह ज्ञात हुआ है कि अनुदानित दर पर मिलने वाले यंत्रों का मूल्य बाजार के मूल्य से अधिक होता है, जिससे किसानों को सरकारी की महत्वकांक्षी योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है. इसलिए मेरा सुझाव होगा कि ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि कृषि यंत्रों का मूल्य योजना एवं बाजार में एक समान हो. इसके लिए विभाग के स्तर पर जो भी आवश्यक हो, उस पर समुचित कार्रवाई अविलम्ब सुनिश्चित की जाए. कृषि यंत्र निर्माताओं भी अपना बहुमूल्य सुझाव हमें दें, ताकि इस योजना को और भी बेहतर ढंग से कार्यान्वित किया जा सके.
कृषि यंत्र निर्माताओं ने उनके संस्थानों द्वारा निर्माण की जा रही नये-नये कृषि यंत्रों के विशेषताओं की प्रस्तुतीकरण दिया. शक्तिमान कम्पनी के प्रतिनिधि ने बताया कि उनके द्वारा 22 तरह के कृषि यंत्र बनाये जाते हैं. नये यंत्रों में रोटरी टीलर, पॉवर हैरो, कम्पोस्ट स्प्रेडर, फर्टिलाइजर ब्रोडकास्टर, बूम स्प्रेयर, फॉडर हार्बेस्टर तथा कटाई उपरान्त फसल न जलाने के लिए कृषि यंत्र यथा राउंड तथा स्क्वायर बेलर, मल्चर तथा धान की कुटी काटने के लिए स्लेसर आदि की विशेषताएँ बतायी गयी. बिहार के यंत्र निर्माता माँ दुर्गा एग्रो इंडस्ट्रीज प्रा.लि, पंडौल, दरभंगा ने आरएयू बीडर तथा मानवचालित ड्रम सिडिंग उपकरण, जो कि सूखे खेत के लिए उपयोगी यंत्र है, के बारे में बतलाया. महिंद्रा एण्ड महिंद्रा कंट्री हेड त्यागी ने बताया कि वे 8 से 9 प्रकार के यंत्र, जो कि किसी भी फसल के मूल्य संवर्धन के लिए उपयोग किये जाते हैं, का निर्माण करते हैं. उनके द्वारा बिहार में दिसम्बर माह तक 35 हजार ट्रैक्टर बेचा गया है. उनके द्वारा बताया गया कि विगत 5 सालों के आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बिहार राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 58 से 67 हजार ट्रैक्टर बेचे जाते हैं. कम्पनी द्वारा स्थानीय निर्माता कम्पनियों के साथ सम्बन्ध व्यापारिक सम्बन्ध बनाकर महिंद्रा एण्ड महिंद्रा द्वारा यंत्रों की गुणवत्ता बरकरार रखते हुए उसकी मार्केटिंग करते हैं.
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री सुनिल कुमार सिंह ने कहा कि देश के कृषि यंत्र उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत यंत्र की खपत बिहार में होती है. इसलिए राष्ट्रीय स्तर के यंत्र निर्माता कम्पनी बिहार में अपनी उत्पादन इकाई स्थापित करें. कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने बिहार राज्य के लिए उपयुक्त कृषि यंत्रों के बारे में यंत्र निर्माताओं से विस्तृत चर्चा की. साथ ही, उन्होंने यंत्र निर्माता कम्पनियों के प्रस्तुतीकरण में राज्य के रकबा के आकार के अनुसार यंत्रों में मोडिफिकेशन करने का अनुरोध किया.
इस कार्यक्रम में कृषि निदेशक श्री हिमांशु कुमार राय, बामेती श्री गणोश राम, संयुक्त निदेशक, पटना प्रमण्डल, संयुक्त निदेशक (अभियंत्रण), श्री आरके वर्मा, बिहार एवं राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, यूपी, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उतराखंड, तमिलनाडू आदि राज्यों के लगभग 100 कृषि यंत्र निर्मातागण, कृषि विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे.
संदीप कुमार
स्टेट इंचार्ज, बिहार स्टेट.
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