आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 'चारा, भोजन और अपशिष्ट' पर एक सत्र में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पशु अपशिष्ट के प्रभावी उपयोग के लिए अभियान को तेज करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि वातावरण दुधारू पशुओं के लिए प्रतिकूल हो सकता है और चारे की कमी हो सकती आने वाले दिनों में इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा, इसलिए पर समय रहते ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी है.
इसके अलावा वकतव्य में तोमर ने जोड़ते हुए कहा कि “चारे की उपलब्धता भविष्य में एक चुनौती हो सकती है इसलिए हमें इस पर विचार करना चाहिए कि हम इससे आने वाले समय में कैसे बच सकते हैं. हालांकि इस क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान खोजने पर स्टार्ट-अप और सहकारी समितियों सहित कई लोग काम कर रहै हैं. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मवेशियों को चारा मिले, क्योंकि उचित भोजन से दूध उत्पादन में वृद्धि होगी.
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सत्र के दौरान नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आमतौर पर हम कचरे का सही तरीके से निस्तारण नहीं करते हैं. फिर चाहे फसल का पराली हो या फलों और सब्जियों के कचरे का घरों में निपटान, उन्हें धन में परिवर्तित करना समय की मांग है. इस पर सोचने और काम करने की जरूरत है कि हम कचरे का अलग-अलग तरीकों से कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्राकृतिक खेती और जैविक खेती खेती के लिए कचरे का उपयोग करने के कुछ तरीके हैं और इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकती है.
तोमर ने उपस्थित लोगों को बताया कि पूसा संस्थान ने एक डीकंपोजर विकसित किया है जिसका उपयोग खेतों और पशुओं के लिए चारा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.
सत्र में भाग लेते हुए, वर्षा जोशी, अतिरिक्त सचिव, मवेशी और डेयरी, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत चारे की उपलब्धता में सुधार के उद्देश्य से सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला.
वर्षा जोशी ने बताया कि पशुपालन विभाग हमेशा एनडीडीबी के साथ मिलकर काम करता है. मंत्रालय और एनडीडीबी ने रामनगर में एक नया बायोगैस संयंत्र स्थापित किया है जहां डेयरी संयंत्र बायोगैस पर काम कर रहा है इसी के साथ हम इसे पूरे देश में दोहराने का इरादा रखते हैं.
आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 का यह तीसरा दिन था और इसका विषय भोजन और अपव्यय था जिस पर बोलने के लिए मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के निदेशक केनीचीरो टोयोफूकु(Kenichiro Toyofuku), एस्सेलिंक ग्लोबल टेक्निकल के मैनेजर एलार्ड एस्सेलिंक(Allard Esselink), डॉ चेतन अरुण नारके, निदेशक, गोकुल मिल्क कोऑपरेटिव, कोल्हापुर और निरंजन कराडे, टीम लीडर (आईपीएम सेल), एनडीडीबी जैसे लोग भी शामिल हुए.
आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट क्या है
यह डेयरी क्षेत्र का एक वैश्विक शिखर सम्मेलन है, जिसमें दुनिया भर के प्रतिभागियों को एक साथ एक मंच पर लाया जाता है. इन प्रतिभागियों में डेयरी प्रसंस्करण कंपनियों के सीईओ और कर्मचारी, डेयरी किसान, डेयरी उद्योग के आपूर्तिकर्ता, शिक्षाविद और सरकारी प्रतिनिधि आदि शामिल होते हैं.
आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट का उद्देशय
आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट का उद्देशय भारतीय डेयरी उद्योग के लिए वैश्विक प्रदर्शन प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है. इससे भारत के छोटे और सीमांत दूध उत्पादन करने वाले लोगों के बीच में जागरूकता बढ़ेगी. इस सम्मेलन में गतिविधियों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शकों के लिए 6,900 वर्ग मीटर से अधिक का एक प्रदर्शनी स्थान उपलब्ध है.
भारतीय डेयरी उद्योग के बारे में
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भारत विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पाद है, जिसकी कीमत 9.32 लाख करोड़ रुपये है और यह वैश्विक हिस्सेदारी का 23 प्रतिशत हिस्सा है.
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भारत में दुग्ध उत्पादन गतिविधि ज्यादातर छोटे और सीमांत डेयरी किसानों द्वारा की जाती है, जिनका औसत आकार 2-3 पशुओं का होता है.
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भारत में देशी गायों और भैंसों 193 मिलियन शानदार नस्लें हैं और लगभग 110 मिलियन भैंसों की शानदार नस्लें भी हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा एक आनुवंशिक पूल है.
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