वनस्पतियों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सरकार की तरफ से तमाम तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं. इसी क्रम में पादपों के आनुवंशिक संसाधनों के संकटों से उबारने के लिए 16 अगस्त, 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत-अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक "राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो पूसा, नई दिल्ली का लोकार्पण किया.
यह संस्था देश के वैज्ञानिकों से तालमेल रख कर विभिन्न क्षेत्रों के पादपों के अनुवांशिकों संसाधनों को एकत्र करता है.
प्रारंभ करने का उद्देश्य
राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य पादप आनुवांशिक संसाधनों के विकास, खोज, सर्वेक्षण व संग्रहण करना है. यह पादपों के अलग-अलग किस्मों का अध्ययन कर उससे एक अलग पौधा बनाने का काम करता है.
यह सब कुछ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हम एक ऐसे दौर में रह रहे हैं, जब हमें पर्यावरण की अत्याधिक आवश्यकता है, तो ऐसी स्थिति में लगातार नए-नए प्रजातियों के पेड़ पौधे अस्तित्व में लाए जाएं.
राष्ट्रीय पादप जीन बैंक क्या है?
राष्ट्रीय पादप जीन की स्थापना राजधानी दिल्ली में वर्ष 1996 में की गई थी. इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य यही था कि पादपों के आनुवांशिक संसाधनों के बीज को संरक्षित किया जाए. जीन बैंक के बारे में तो आप महज इतना ही समझ लीजिए कि यह पौधों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जीन बैंक में विभिन्न प्रकार के पौधों के जीन में आपको मिलेंगे. नित दिन यह पेड़ पौधों को उन्नत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
राष्ट्रीय जीन बैंक के कार्य
यह विभिन्न स्रोतों से जर्मप्लास्म को एकत्र कर औषधीय एवं संगध पौधों की विभिन्नताओं का एक सजीव बैंक विकसित करता है. इसी क्रम में रासायानिक यौगिकों का एकत्रिकरण व प्रथक्ककरण करना होता है. एक उचित एवं तीव्र विश्लेषण विधि को विकसित करना जिससे औषधीय एवं सगंध पौधों की जांच एवं मूल्यांकन हो सकें.
इससे पादपों के प्रजाति के बारे में अध्ययन करने में सरलता होगी व उनके विकास व संवर्धन की दिशा में भी भावी योजनाएं तैयार करने में सहायता मिल पाएगी. खैर, अब केंद्र सरकार द्वारा पादपों के विकास व संवर्धन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया यह कदम कितना उपयोगी साबित होता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही तय करेगा. तब तक के लिए आप कृषि जगत से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए....कृषि जागरण.कॉम
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