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लैवेंडर के फूलों की करें खेती, करें अच्छी आमदनी

लैवेंडर की खास खुशबू मन को सुकून देती है. बैंगनी फूलों की बगिया घर को महका देती है . लैवेंडर एक बारहमासी पौधा है. इस छोटे पौधे की लम्बी टहनियां होती हैं. इसमें छोटे-छोटे पर्पल कलर के फूल उगते हैं, उन्हें ही लैवेंडर कहा जाता है. लैवेंडर का प्रयोग चाय, कुकीज और मिठाइयों जैसी खाने की चीज़ो के साथ-साथ, घर सजाने में भी किया जाता है. इसकी मनमोहक खुशबू से आस-पास का वातावरण काफी अच्छा हो जाता है. इसलिए इसका ज्यादा उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है. इसी के साथ ही इसके तेल के भी बहुत से फायदे है. इस लेख में पढ़ें कि आप लैवेंडर की खेती करके कैसे बढ़ा सकते है आमदनी

स्वाति राव
स्वाति राव
laven
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लैवेंडर की खास खुशबू मन को सुकून देती है.  बैंगनी फूलों की बगिया घर को महका देती है . लैवेंडर एक बारहमासी पौधा है. इस छोटे पौधे की लम्बी टहनियां होती हैं.  इसमें छोटे-छोटे पर्पल कलर के फूल उगते हैं,  उन्हें ही लैवेंडर कहा जाता है. लैवेंडर का प्रयोग चाय,  कुकीज और मिठाइयों जैसी खाने की चीज़ो के साथ-साथ, घर सजाने में भी किया जाता है. इसकी मनमोहक खुशबू से आस-पास का वातावरण काफी अच्छा हो जाता है.  इसलिए इसका ज्यादा उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है. इसी के साथ ही इसके तेल के भी बहुत से फायदे है. इस लेख में पढ़ें कि आप लैवेंडर की खेती करके कैसे बढ़ा सकते है आमदनी

लैवेंडर की खेती के लिए खेत की तैयारी – Field preparation for lavender cultivation

लैवेंडर की खेती के लिए खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेषों को अच्छे से हटा देना चाहिए.  इसके बाद खेत की मिट्टी में गहरी जुताई करनी चाहिए.  फिर खेत को कुछ दिन के लिए धूप लगने खुला छोड़ देना चाहिए.  इसके बाद पुरानी  गोबर की खाद को खेत की मिट्टी में मिलादेना चाहिए . मिट्टी मिलाने के बाद पानी डाल कर खेत की सिचाई कर दें.  

सिंचाई के बाद जब खेत  की ऊपरी सतह हल्की सूखी हुई दिखाई देने लगे,  तब खेत की कल्टीवेटर के माध्यम से जुताई कर उसमें रोटावेटर चला दें.  जिससे  खेत की मिट्टी भुरभुरी दिखाई देने लगती हैं.  खेत में रोटावेटर चलाने के बाद उसमें पाटा लगाकर खेत को समतल बना दें.  ताकि खेत में बारिश के मौसम में जलभराव ना हो पायें.

लैवेंडर की पौध तैयार करना - Lavender plant preparation

लैवेंडर की खेती बीज और पौधों दोनों तरीके से की जा सकती हैं.  लेकिन पौध लगाने से इसकी पैदावार अच्छी मिलती हैं.  नवम्बर और दिसम्बर माह में इसकी नर्सरी तैयार की जाती है. इसकी पौध तैयार करने के लिए कटिंग के माध्यम से इसके एक या दो साल पुराने पौधों की शाखाओं का उपयोग किया जाता है. उन शाखाओं को नर्सरी में उर्वरक देकर तैयार की गई क्यारियों में 5 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाकर पौध तैयार करते हैं.

पौध रोपाई का तरीका और समय –Planting method and time –

लैवेंडर को बीज और कलम दोनों तरह से लगा  सकते है. लेकिन लोग इन्हें पौध के रूप में लगाना ज्यादा पसंद करते हैं. इसलिए इनको पौध के रूप में लगाते वक्त इन्हें खेत में मेड़ पर तैयार कर लिया जाता हैं.  खेत में मेड़ तैयार करते समय हर एक  मेड़ों के बीच एक से डेढ़ मीटर की  दूरी रखनी चाहिए,  इसके साथ ही मेड़ पर इसकी पौध की रोपाई के दौरान उन्हें आपस में 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए.

लैवेंडर की खेती के लिए उपयुक्त पौधों की सिंचाई -Irrigation of plants suitable for lavender cultivation –

लैवेंडर की खेती के लिए सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती हैं. इसके पौधों को खेत में लगाने के तुरंत बाद उनकी सिंचाई कर देनी चाहिए.  उसके बाद खेत में नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता के अनुसार पानी देते रहना चाहिए.  इसके पौधों में पानी अधिक मात्रा में नही देना चाहिए.  क्योंकि ज्यादा समय तक जल भराव रहने की वजह से पौधों को कई तरह के रोग लगने की संभावना बढ़ जाती हैं.

लैवेंडर की खेती के लिए उर्वरक की उपयुक्त मात्रा - Suitable amount of fertilizer for lavender cultivation

लैवेंडर की खेती के लिए उपयुक्त उर्वरक में  पुरानी गोबर की खाद को खेत में डालकर अच्छे से मिट्टी में डालना चाहिए. इसके अलावा इसमें दी जाने वाली रासायनिक खाद में  20 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश की मात्रा होनी चाहिए.  इसके पौधे एक बार लगाने के बाद कई सालों तक पैदावार देते  हैं.  इसलिए पौधों की हर कटाई के बाद उपरोक्त  रासायनिक उर्वरक की समान मात्रा को चार बराबर भागों में बांटकर चार बार में पौधों को देना  चाहिए.  इसके अलावा जैविक उर्वरकों का छिड़काव भी पौधों की कटाई के बाद खेत में कर देना चाहिए.  इससे पौधों का विकास अच्छे से होता हैं.  और पैदावार भी अधिक मिलती हैं.

पौधों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम –Plant diseases and their prevention

इसकी पौध में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है,  जिसकी वजह से पौधों के विकास और उत्पादन में कमी आ सकती है. इन सभी तरह के कीटों का जैविक तरीके से नियंत्रण करने के लिए पौधों पर नीम के तेल या अन्य जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए.  इसके अलावा इसमें जलभराव की बजह से पौध की जड़ में गलन का रोग भी होता  है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए जड़ों में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए .

पौधों की कटाई –  cutting of plants

जब पौध में 50 प्रतिशत से ज्यादा फूल खिलना  शुरू हो जाते हैं, तब  इसके पौध की कटाई की जाती है.

पैदावार और लाभ - Yields and benefits

लैवेंडर के फूलों से किसान भाई कई तरह से कमाई कर सकते  हैं.  इसके फूलों को बाज़ार में बेचकर नगद लाभ कमा सकते हैं.  इसके अलावा इसके फूलों से तेल निकालकर उसे बेचकर पैसे कमा सकते  हैं.  इसका  तेल भी  काफी महँगा  बिकता हैं.  जिससे किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर  सकते  हैं.

लैवेंडर पर नयी शोध – New research on lavender

आईआईआईएम जम्मू के वैज्ञानिकों ने लैवेंडर की खेती पर एक नया शोध किया है.  इसके अनुसार, अरोमा मिशन फेज-2 की शुरुआत की है. जिसमें जम्मू प्रदेश में नौ हजार हेक्टेयर भूमि पर लैवेंडर की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके तहत आने वाले तीन वर्षों में पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को लैवेंडर सहित अन्य खुशबूदार फूलों की खेती करने के प्रति जागरूक किया जाएगा, जिससे किसान भाइयों की आमदनी दुगुनी हो सके.

खेती बाड़ी और बागवानी से सम्बंधित जानकारियां जानने के लिए पढ़ते रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल.

English Summary: The right way and information about the cultivation of lavender Published on: 16 July 2021, 05:50 IST

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