केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( आईसीएआर) के 90 वें स्थापना दिवस पर वैज्ञानिकों को उनके सराहनीय कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप देश को खाद्दान्न मामलों में आत्मनिर्भरता मिली है। देश को कृषि क्षेत्र में पिछले चार सालों में रिकार्ड बढ़ोत्तरी मिली है।
आईसीएआर द्वारा चावल किस्म बासमती पूसा 1121 किस्म की तारीफ करते राधामोहन सिंह ने कहा कि इससे देश को सालाना लगभग 18 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा हासिल हो रही है। क्लाइमेट चेंज की समस्या पर उन्होंने कहा कि देश में इससे निपटने के लिए 45 इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम मॉडल तैयार किए जा चुके हैं।
खाद्दान्न उत्पादन बढ़ने के मद्देनज़र सिंह ने कहा कि देश आज इस क्षेत्र में आयातक से निर्यातक बन चुका है। इसके अतरिक्त कृषि मंत्री ने आशा जताई कि खेती को वैज्ञानिकों के प्रयासों के फलस्वरूप एक नया मुकाम मिलेगा। बागवानी फसलों की उत्पादकता बढ़ने से भारत आज दुनिया में अग्रणी बन चुका है। साथ ही कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ने की दिशा में वैज्ञानिकों की भूमिका अहम रहेगी। इसके लिए कृषि विशेषज्ञों की संबंधित रिपोर्ट भेज दी गई।
खेतों में पराली जलाने के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के निराकरण की दिशा में पहल करते हुए इस अपशिष्ट को बचाने के लिए मशीनें खरीदने में किसानों को 50 प्रतिशत और कस्टम हायरिंग केंद्रों को 50 प्रतिशत तक की छूट देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही आईसीएआर के 35 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा व्यापक अभियान चलाया गया। 45,000 किसानों में जागरूकता उत्पन्न की गई, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े कार्यकलापों पर 4708 हैक्टेयर क्षेत्र में 1200 सीधा या लाइव प्रदर्शन किए गए।
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