उत्तर प्रदेश में मौसम की बेरुखी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. यूपी में पिछले महीने से मौसम काफी बदला हुआ है. बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. बदलती जलवायु से किसानों की फसलों के उत्पादन और मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की कमी हो रही है. ऐसे में किसानों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है. दरअसल, किसानों की समस्याओं पर कृषि वैज्ञानिक अब खेतों पर जाकर रिसर्च करेंगे.
कौन करेगा रिसर्च
इसके लिए यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (U.P Council Of Agricultrual Reasearch) ने भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (Indian Council of Agricultural Research) को लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है, जिसके बाद कई जिलों रिसर्च का काम शुरू किया जाएगा. खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में आईआईएफएसआर (IIFSR) के वैज्ञानिक जिलों के स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करेंगे.
कैसे खोजेंगे फसलों को संकट से बचाने के तरीके
इस प्रोजेक्ट को उत्तर प्रदेश के लगभग 26 जिलों में चलाया जाएगा. इस मिशन को पायलट प्रोजेक्ट का रूप दिया गया है. इस रिसर्च को हस्तिनापुर क्षेत्र में लगभग 300 हेक्टेयर भूमि पर किया जाएगा. जानकारी मिली है कि यह प्रोजेक्ट को गंगा के आसपास चलाया जाएगा. इसके सहयोग से ग्रीन गैसों को कम करने का काम होगा, ताकि रिसर्च में मदद मिल सके. इस प्रोजेक्ट पर काम करने से किसान अपने यहां भी इन तकनीक से खेती कर सकेंगे. इस प्रोजेक्ट के लिए कमेटी गठित हुई है.
इन विषयों पर होगा काम
आर्गेनिक फार्मिंग पर काम किया जाएगा.
कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा.
ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम किया जाएगा.
संरक्षित खेती को तकनीक से किया जाएगा.
मृदा और जल संरक्षण पर काम होगा.
पशु नस्ल में सुधार होगा.
मछली पालन किया जाएगा.
मशरूम, शहद उत्पादन भी होगा.
किन जिलों में चलेगा प्रोजेक्ट
वेस्टर्न जोन - मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर
मिड वेस्टर्न जोन - अमरोहा, बदायूं, शाहजहांपुर
साउथ वेस्टर्न जोन - मथुरा, आगरा, एटा
तराई जोन - लखीमपुर खीरी, बहराइच, सहारनपुर
सेंट्रल जोन - फतेहपुर, कानपुर देहात, हरदोई, सीतापुर
ईस्टर्न जोन - अयोध्या, चंदौली, मऊ
नॉर्थ ईस्ट जोन : सिद्धार्थनगर, देवरिया, गोरखपुर
विंध्याचल जोन - प्रयागराज, सोनभद्र, मिर्जापुर
बुंदेलखंड जोन - झांसी
क्यों है किसानों के लिए उपयोगी
आपको बता दें कि यह एक बड़ी परियोजना है, जो उत्तर प्रदेश के करीब 26 जिलों में चलाई जाएगी. इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए हस्तिनापुर क्षेत्र की करीब 300 हेक्टेयर भूमि को चुना गया है. यह प्रोजेक्ट किसानों के लिए बहुत उपयोगी माना जा रहा है.
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