किसानों को उनके उपज मूल्य में पारदर्शीता दिलाने और व्यापार को बढ़ावा दिलाने के लिए लॉन्च की गई इ-नाम योजना में अगले दो साल में 415 बाजार और जुड़ जाएंगी. इस संख्या में इस वर्ष 200 मंडियां और अगले वर्ष 215 मंडियां और जोड़ी जाएंगी. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के इस प्लेटफार्म पर 16 राजायों के अब तक 1.14 करोड़ किसान पंजीकरण करा चुके हैं. इस विषय पर केंद्रिय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल में बताया कि राजग की पिछली सरकार ने 2003 में कृषि विपणन क्षेत्र में सांकेतिक सुधार मॉडल अधिनियम बनाया था और इसमें ई-नाम, ई-व्यापार के साथ संविदा खेती और एकीकृत व्यापार लाइसेंस की व्यवस्था शामिल थी. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा की वर्ष 2014 तक इसमें कुछ कार्य नहीं हुआ और 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस दिशा में काम तेज किया गया.
कृषि मंत्री ने आगे बताया कि बाद में सरकार के द्वारा ई-नाम के रूप में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार लांच किया और अब तक इससे 585 मंडियों को जोड़ा जा चुका है. सरकार इस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म से कुल 1000 मंडियों को जोड़ना चाहती है. इसके अतिरिक्त सरकार देश की 22 हजार ग्रामीण हाटों को विकसित कर इन्हें ई-नाम प्लेटफार्म के साथ एकीकृत करने की दिशा में भी काम कर रही है. वहीं एक प्रश्न के जवाब में कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 1.14 करोड़ किसानों के अतिरिक्त ई-नाम प्लेटफार्म पर कृषि क्षेत्र में ट्रेडिंग करने वाले एक लाख 14 हजार व्यापारी भी अपना पंजीकरण करा चुके हैं. इनके अतिरिक्त कुछ आढ़तिये भी इस प्लेटफार्म से जुड़ चुके हैं।
कृषि जागरण डेस्क
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