आज हम बात करेंगे बिहार के बारे में जहां सूखाग्रसित समस्या की वजह से वहां के लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है . जिस वजह से वहां के लोग दाने-देने के मोहताज़ हो गए हैं. उनकी सारी उम्मीदें सरकार पर टिकी हैं कि वह उनकी कुछ आर्थिक सहायता करेंगे .
मुख्यमंत्री के समक्ष कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, ऊर्जा व लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने सूखे से उत्पन्न हालातों को देखते रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट के आधार पर ही सीएम ने यह निर्णय लिया है की वह जिन किसानों का जो भी नुक्सान हुआ है उन प्रभावित जिलों में ऋण वसूली स्थगित कर दी जाए.
बिहार के 23 जिले और 206 प्रखंड सूखाग्रसित हुऐ हैं इन्हीं जिलों का ऋण वसूली स्थगित कर दी गयी है इससे किसानों को थोड़ी राहत की सांस मिली है. बिहार के सूखाग्रस्त जिलों में पटना, भोजपुर, बक्सर, गया, कैमूर, नवादा, औरंगाबाद, सारण, सीवान, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, गोपालगंज, मधुबनी, समस्तीपुर, शेखपुरा, जमई, मुंगेर, जहानाबाद, भागलपुर, बांका, नालंदा और सहरसा शामिल हैं.
यहां के किसानो के हालात बहुत ख़राब हैं फसलों के मुरझाने से उपज में 33 प्रतिशत से भी कम उत्पाद हुआ है, जिस वजह से किसानो को भरी मार का सामना करना पड़ रहा है. आशा है की सरकार इसके लिए कड़े -कदम उठाएगी.
मनीशा शर्मा, कृषि जागरण
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