इस दुनिया में दो किस्म के लोग होते हैं. एक वे जो मुसीबतों के आगे नतमस्तक होकर हालातों से समझौता कर लिया करते हैं और एक वे जो मुसीबतों का दटकर सामना कर नया कीर्तिमान स्थापित करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स से मुखातिब कराने जा रहे हैं, जिन्होंने मुश्किलों को देखकर हार नहीं मानी, बल्कि दट कर उसकासामना किया और वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना कभी किसी ने नहीं की थी.
जी हां...राजस्थान के बारां जिले के रहने वाले महज 19 वर्षीय योगेश कुमार ने यह कमाल कर दिखाया है. योगेश कोटा में रहकर बीएससी फर्स्ट इयर में पढ़ रहे हैं. जब उन्हें एकाएक यह खबर मिली कि उनके पिताजी के पैर में चोट लग गई है, जिससे खेती-बाड़ी का काम प्रभावित हो रहा है, लिहाजा वे अपनी पढ़ाई छोड़कर फौरन घर चले आए. योगेश कतई नहीं चाहते थे कि उनकी पढ़ाई को नुकसान पहुंचे, लेकिन अफसोस परिवार की इल्तिजा के आगे वे मजबूर हो चुके थे, लिहाजा वे अपने घर आ गए और अपनी पिताजी की खेती-बाड़ी काम देखने लगे. इस दौरान वे ट्रैक्टर चलाकर खेती-बाड़ी का काम पूरा करते रहे, ताकि परिवार को कुछ मदद मिल सके.
योगेश खेतीबाड़ी के काम में मशगूल ही थे कि एकाएक उनके जेहन में यह सवाल उठा कि क्यों न एक ऐसा ट्रैक्टर बनाया जाए, जिसको चलाने के लिए किसी इंसान की जरूरत ही न हो. बेशक, अपने जेहन में आए इस ख्याल को धरातल पर उतारना उनके लिए उतना आसान नहीं था. राहों में बेशुमार मुश्किलें थी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने यह दृढ़संकल्प ले लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए. मैं एक ऐसा ट्रैक्टर जरूर बनाऊंगा, जिसे बिना किसी ड्राइवर के चलाया जा सके. इसके बाद उन्होंने अपने इस ख्याल को अपने पिताजी के साथ साझा किया. पिताजी को योगेश की यह राय खूब भाई और इस काम में उन्होंने अपने बेटे का पूरा साथ भी दिया.
योगेश के पिता ने कहा कि ठीक है, पहले तुम एक छोटे से प्रोजेक्ट पर काम करो, अगर तुम इसमें सफल रहे, तो फिर बड़े प्रोजेक्ट के काम में तुम्हारी मदद करूंगा, लिहाजा छोटे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए योगेश को उनके पिताजी ने 2 हजार रूपए दिए और वो इसमे कामयाबभी हुए. योगेश ने अपने पिता को किया वादा पूरा कर दिखाया, जिसके बाद योगेश के पिताजी को लगा कि उनका बेटा बड़े प्रोजेक्ट में भी सफल हो सकता है.
शुरू किया बड़े प्रोजेक्ट पर काम
अपने पहले प्रोजेक्ट में काम करने के बाद योगेश ने अपने दूसरे प्रोजेक्ट में काम करना शुरू कर दिया. दूसरे प्रोजेक्ट में काम करने के लिए योगेश को 50 हजार रूपए की दरकार थी, जिसकी पूर्ति के लिए उनके पिताजी ने सैंकड़ों लोगों से मदद ली, तब जाकर यह रकम पूरी हो पाई. इसके बाद फिर योगेश ने पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करना शुरू कर दिया और आखिरकार अपने द्वारा कहे अल्फाजों को हकीकत में तब्दील करके दिखा ही दिया. योगेश ने एक ड्राइवरलैस ट्रैक्टर तैयार कर ली, जिसे बिना किसी ड्राइवर के महज रिमोर्ट की मदद से चलाया जा सकता है.
अब ऐसा है आगे का प्लान
यहां हम आपको बताते चले कि अब योगेश आगामी भविष्य में भारतीय सेना के लिए ड्राइवरलैस टैंक बनाना चाहते हैं. इस दिशा में उन्होंने काम शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि वे बहुत जल्द ही अपनी इस मंजिल को भी प्राप्त कर दिखा लेंगे.
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