खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग अब स्वंम धान, गेंहू, आदी के तुरंत खरीद के बाद किसानों के खातों में सीधे पैसे भेजेगी। अब विभाग ने सहकारी समितियों को अपने से अलग कर दिया है. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने समिति के प्रबंधको को बताया है कि जैसे ही खरीद की जाये उसके तुरंत बाद ही डिजिटल हस्ताक्षर सहित बैंको को किसानों सूची भेजे। जिससे किसानो को समय से अपनी फसल का उचित मूल्य मिल जाये।
इस बार ऐसा करने का मुख्य कारण है कि जब किसान अपना अनाज बेच देता था उसके कुछ महीन बाद समितियां भुगतान करती थी. इस समय मध्य प्रदेश में धानों की खरीदारी हो रही और किसानों की शिकायत थी कि खरीद के 10 से 15 दिन के बाद तक ये समितियां भुगतान नहीं करती थी. बस, किसानों की ऐसी मांग को ध्यान में रखकर विभाग ने ये कदम उठाया है. विभाग के अधिकारीयों का कहना है कि एक हफ्ते के अंदर ही लगभग सभी किसानों के खाते में पैसे भेज दिये जायेगें। अभी तक जिन किसानो के आधार और बैंक खाते मेल नहीं खा रहे है या नहीं थे तो उसके कारण भुगतान नहीं हो पाया था. धीरे -धीरे समिति के अधिकारी किसानों का डाटा लेकर उनके भुगतान को करते जायेंगे।
अभी तक प्रदेश में लगभग 16 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है, जिसका भुगतान बैंको के माध्यम से किया जा रहा है. गेहूं खरीदी में भी इसी व्यवस्था के तहत खरीदारी की जाएगी. 15 लाख किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। गेहूं खरीदी के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन चालू हो गया है. इसके लिए किसानों से मोबाइल, बैंक एकाउंट के साथ ही आधार नम्बर भी लिए जा रहे हैं।
बता दें कि प्रदेश में जिन किसानों के खाते जनधन योजना के अन्तर्गत खोले गए थे उनके खातों में 20000 से ज्यादा पैसे एक बार में नहीं जा पा रहे हैं. इन खातों में एक बार में अधिकतम 50 हजार रुपए ही डाले जा सकते हैं, इस पर भी बैंक के सॉफ्टवेयर अपडेट होने और उनके खाते में राशि स्थानांतरित होने में दिक्कत आती है। विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक कर उसके बैंक खातों में राशि ट्रांसफर के संबंध में कोई व्यवस्था करें।
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